करीब 140 करोड़ की आबादी वाले देश भारत में कोरोना वैक्सीन की किल्लत देखी जा रही है, लेकिन कई राज्यों में कोरोना टीकों की जमकर बर्बादी हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कोविड-19 रोधी टीकों की सबसे ज्यादा 33.95 फीसदी बर्बादी झारखंड राज्य में हुई। केरल और पश्चिम बंगाल राज्य में मई माह में कोविड-19 रोधी टीकों की बिल्कुल भी बर्बादी नहीं हुई तथा दोनों राज्यों में टीकों की क्रमश: 1.10 लाख तथा 1.61 लाख खुराकें बचाई गईं। वहीं, आंकड़ों के मुताबिक केरल में टीकों की बर्बादी का आंकड़ा नकारात्मक 6.37 फीसदी रहा, जबकि पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा नकारात्मक 5.48 फीसदी है।
ज्यादा बर्बादी में छत्तीसगढ़, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान भी शामिल
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 15.79 फीसदी कोरोना टीके बेकार गए, वहीं मध्यप्रदेश में 7.35 फीसदी टीके बर्बाद हुए। जबकि पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में क्रमश: 7.08 फीसदी, 3.95 फीसदी, 3.91 फीसदी, 3.78 फीसदी और 3.63 फीसदी और 3.59 फीसदी कोविड-19 टीके बेकार गए। आपको जानकारी के लिए बता दें कि टीकों की बर्बादी का आंकड़ा नकारात्मक होने का अर्थ टीके की हर शीशी में मौजूद अतिरिक्त खुराक का भी इस्तेमाल करना है।
45 वर्ष से अधिक के 38 फीसदी लोगों को दी गई पहली खुराक
जानकारी के अनुसार, भारत में 45 वर्ष से अधिक उम्र के 38 फीसदी लोगों को सात जून तक कोविड टीके की पहली खुराक दी जा चुकी हैं। त्रिपुरा में यह आंकड़ा 92 फीसदी, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में 65-65 फीसदी, गुजरात में 53 फीसदी, केरल में 51 फीसदी और दिल्ली में 49 फीसदी रहा। वहीं, बिहार में 25 फीसदी, झारखंड और उत्तर प्रदेश में 24-24 फीसदी और तमिलनाडु में 19 फीसदी लोगों को पहला टीका लगाया जा चुका है। मालूम हो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 जून से देश के सभी नागरिकों को मुफ्त कोरोना टीका लगाने का ऐलान किया है। पीएम मोदी ने कहा था कि ये संयोग ही है कि उस दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भी है।
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