देश में तेजी से फैल रहा है ब्लैक फंगस, जानिए क्या हैं इसके लक्षण

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भारत में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कहर के बीच अब ब्लैक फंगस का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। देश में अब तक 500 से ज्यादा लोग इसके चपेट में आ चुके हैं। खासकर कोरोना को मात देने के दो ​हफ्ते यानि करीब 14 दिन बाद मरीज में ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं। हालांकि, कुछ मरीजों में पॉजिटिव होने के दौरान भी यह पाया जा रहा है। इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी सिर्फ उन्हें होती है जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। देश में अब तक 11 से ज्यादा राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में आइये जानते हैं इस रोग के लक्षण क्या हैं…

क्या है ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस?

अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के मुताबिक, म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस एक दुर्लभ प्रकार का फंगल इंफेक्शन है। ये एक गंभीर इंफेक्शन है, जो मोल्ड्स या फंगी के एक समूह की वजह से होता है। ये मोल्ड्स पूरे पर्यावरण में जीवित रहते हैं और साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करते हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताए ब्लैक फंगस के ये लक्षण

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने एक ट्वीट कर बताया है कि आंखों में लालपन या दर्द, बुखार, खांसी, सिरदर्द, सांस में तकलीफ, साफ-साफ दिखाई नहीं देना, उल्टी में खून आना या मानसिक स्थिति में बदलाव ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं।

ब्लैक फंगस से बचने के लिए मरीज की निगरानी जरूरी: गुलेरिया

एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया बताया कि आमतौर पर पांच से 10 दिन तक ही स्टेरॉयड की जरूरत पड़ती है, इससे ज्यादा दिनों तक मरीज को यह दवाएं दी जाएं तो ब्लैक फंगस होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। अगर मरीज को स्टेरॉयड दे रहे हैं तो उसकी पूरी निगरानी करना भी स्वास्थ्य कर्मचारियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस से बचने के लिए मरीज की निगरानी बहुत जरूरी है। कोरोना से ठीक होने वाले या संक्रमण के दौरान मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। इसकी वजह से कई मरीजों की मौत तक हो रही है।

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