भारतीय विश्वविद्यालय संघ (IUA) की 95वीं वार्षिक बैठक और कुलपतियों की राष्ट्रीय संगोष्ठी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा, नागरिकों के समान अधिकार से ही समाज में समरसता आती है और देश प्रगति करता है। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अत्याधुनिक और भविष्यवादी बताया।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा के भारतीय चरित्र पर जोर देते थे। आज के वैश्विक परिदृश्य में यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अत्याधुनिक और वैश्विक मानकों के अनुरूप हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने शिक्षा के विभिन्न पहलुओं की बात की थी और वही इस शिक्षा नीति के मूल में भी दिखता है।
नीति जितनी व्यवहारिक है, क्रियान्वयन भी उतना ही व्यवहारिक
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, मैं राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर लगातार विशेषज्ञों से चर्चा करता रहा हूं। यह जितनी व्यवहारिक है, इसका क्रियान्वयन भी उतना ही व्यवहारिक है। उन्होंने आगे कहा कि हर छात्र की अपनी एक सामर्थ्य होती है और शिक्षक जब उसकी आंतरिक क्षमता के साथ संस्थागत क्षमता दे दे तो छात्रों का विकास व्यापक हो जाता है। आज देश जैसे-जैसे ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को लेकर आगे बढ़ रहा है, कुशल युवाओं की भूमिका और उनकी मांग भी लगातार बढ़ती ही जा रही है।
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