फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने टाटा द्वारा मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाना सही ठहराया

Views : 2622  |  3 minutes read
Tata-Group-Vs-Mistry-Case

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टाटा-मिस्त्री मामले में अपना फैसला सुना दिया है। टाटा समूह की कंपनी टाटा संस लिमिटेड और शापूरजी पलोनजी ग्रुप के साइरस मिस्त्री के मामले में मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायाधीश एएस बोपन्ना और न्यायाधीश वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना सही माना है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि शेयर से जुड़े मामले को टाटा और मिस्त्री दोनों समूह मिलकर सुलझाएं। बेंच ने अपने आदेश में कहा, ‘राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के 18 दिसंबर 2019 के आदेश को रद्द किया जाता है।’

टाटा संस ने एनसीएलएटी के आदेश को दी थी चुनौती

आपको बता दें कि देश की शीर्ष अदालत ने टाटा-मिस्त्री मामले में 17 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने अपने आदेश में साइरस मिस्त्री को 100 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था। इसके बाद टाटा संस ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करता हूं: रतन टाटा

टाटा समूह के प्रमुख रतन टाटा ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि, ‘मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना करता हूं और मैं न्यायालय का आभारी हूं। यह हार और जीत का विषय नहीं है। मेरी ईमानदारी और समूह के नैतिक आचरण पर लगातार हमले किए गए। फैसले ने टाटा समूह के मूल्यों और नैतिकता पर मुहर लगाई है, जो हमेशा से समूह के मार्गदर्शक सिद्धान्त रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘इस फैसले ने न्यायपालिका की निष्पक्षता को और मजबूत किया है।’

टाटा-मिस्त्री के बीच क्या था विवाद?

शापूरजी पलोनजी (एसपी) समूह ने 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अक्टूबर, 2016 को हुई बोर्ड की बैठक में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना खूनी खेल और घात लगाकर किया गया हमला था। यह कंपनी संचालन के सिद्धांतों के खिलाफ था। वहीं, टाटा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था और बोर्ड ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मिस्त्री को पद से हटाया था।

साल 2012 में मिस्त्री बने थे टाटा संस के चेयरमैन

साइरस मिस्त्री ने वर्ष 2012 में टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रतन टाटा का स्थान लिया था। लेकिन चार साल बाद 24 अक्टूबर, 2016 को उन्हें इस पद से बर्खास्त कर दिया गया और साल 2017 में एन चंद्रशेखरन टाटा संस के चेयरमैन बने। सुप्रीम कोर्ट ने अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश के चुनौती देने वाली साइरस मिस्त्री की अपील (क्रॉस अपील) पर टाटा संस और अन्य को नोटिस जारी किया था। मिस्त्री की अपील के अनुसार, वह कंपनी में अपने परिवार की हिस्सेदारी के बराबर प्रतिनिधित्व चाहते हैं। उनके परिवार की टाटा समूह में 18.37 फीसदी हिस्सेदारी है। टाटा संस में टाटा ट्रस्ट के 66 फीसदी शेयर हैं, जबकि मिस्त्री परिवार की महज 18.4 फीसदी ही हिस्सेदारी है।

1 अप्रैल से कंपनियों को लेनदेन के ऑडिट ट्रेल को रिकॉर्ड वाले सॉफ्टवेयर का करना होगा उपयोग

COMMENT