अमेरिका: जो बाइडन ने ग्रीन कार्ड पर लगी रोक हटाई, एच-1बी वीजा वाले भारतीयों को होगा फायदा

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अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक और फैसले को पलट दिया है। दरअसल, बाइडन ने ट्रंप सरकार द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान ग्रीन कार्ड जारी करने पर लगाई गई रोक को हटा दिया। डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीन कार्ड आवेदकों के अमेरिका आने पर रोक लगाई थी। लेकिन अब बाइडन सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से अमेरिका में एच-1बी वीजा पर काम करने वाले भारतीय पेशेवरों को भी फायदा पहुंचेगा। आपको जानकारी के लिए बता दें कि ग्रीन कार्ड से अमेरिका में स्थायी तौर पर काम करने और बसने का अधिकार मिल जाता है।

देश हित में नहीं थी पूर्व राष्ट्रपति की नीति: बाइडन

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को कहा कि वैध आव्रजन को रोकना अमेरिका के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका को नुकसान पहुंचता है, जिसमें अमेरिकी नागरिकों या वैध स्थाई निवासियों के परिवार के सदस्यों को यहां उनके परिवारों से मिलने से रोकना शामिल है। यह अमेरिका के उद्योगों को भी प्रभावित करता है, जिसका विश्वभर के प्रतिभाशाली लोग हिस्सा हैं। बता दें कि जो बाइडन ने अपने चुनाव अभियान के दौरान वादा किया था कि वह एच-1बी वीजा समेत तमाम वर्क वीजा और ग्रीन कार्ड पर लगे प्रतिबंधों को खत्म करेंगे।

ट्रंप के फैसले से एक लाख से ज्यादा प्रभावित हुए

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा ग्रीन कार्ड पर रोक लगने के कारण करीब एक लाख लोग प्रभावित हुए। इनको परिवार आधारित वीजा से वंचित होना पड़ा। जबकि अमेरिका में इस समय परिवार आधारित ग्रीन कार्ड आवेदनों की संख्या चार लाख 73 हजार हो गई है। ग्रीन कार्ड मिलने से अमेरिका में स्थायी तौर पर काम करने और बसने का अधिकार मिल जाता है। अमेरिका में एच-1बी वीजा पर काम कर रहे लाखों भारतीयों को भी ग्रीन कार्ड का इंतजार है। जबकि एच-1बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है। इस वीजा के आधार पर अमेरिकी कंपनियां उच्च कुशल विदेशी कामगारों को यहां रोजगार देती हैं। हर साल विभिन्न श्रेणियों में 85,000 वीजा जारी किए जाते हैं।

गौरतलब है कि उच्च कौशल वाले एच-1बी वीजाधारकों में बड़ी संख्या भारतीयों की है। एच-1बी गैर-आव्रजक वीजा होता हैं, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों को विशेष तकनीकी दक्षता वाले पदों पर विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति होती है। इस वीजा के जरिए अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से करीब 10 हजार दक्ष कर्मचारियों की नियुक्ति करती हैं।

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