राज्यसभा के 45 नए सदस्यों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली, ज्योतिरादित्य और दिग्विजय का हुआ आमना-सामना

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हाल में राज्यसभा के लिए चुने नए सदस्यों को बुधवार को उच्च सदन की शपथ दिलाई गई। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को राज्यसभा के नवनिर्वाचित 61 सदस्यों में से 45 को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। कोरोना वायरस महामारी के कारण अंतर सत्र के दौरान शपथ ग्रहण समारोह राज्यसभा के चैंबर में आयोजित किया गया। इस दौरान सदन में एक दिलचस्प तस्वीर देखने को मिली। दरअसल, अक्सर एक-दूसरे पर तीखे बयान देने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह का राज्यसभा में आमना-सामना हुआ। इस दौरान दोनों ही नेताओं ने मास्क पहना हुआ था।

जब ये धुर-विरोधी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह एक-दूसरे के आमने-सामने आए तो दोनों ने एक-दूसरे के सामने हाथ जोड़कर अभिवादन किया। दोनों नेता जब एक दूसरे का अभिवादन स्वीकार रहे थे, उस वक्त वहां राज्यसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आज़ाद भी मौजूद थे। इस दौरान गुलाम नबी आज़ाद भी हाथों से कुछ इशारा करते हुए दिखाई दिए। राज्यसभा से बाहर आई तस्वीरों में भी देखा जा सकता है कि गुलाम नबी भी अपने हाथों से कुछ इशारा कर रहे हैं।

कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं सिंधिया

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसी साल ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद सिंधिया और दिग्विजय के बीच काफी जुबानी जंग हुई थी। जहां सिंधिया ने कमलनाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला, वहीं दिग्विजय सिंह खुलकर कमलनाथ के पक्ष में उतर गए। दरसअल, सिंधिया की बगावत के पीछे एक वजह राज्यसभा सीट भी थी, जिस पर कांग्रेस ने दिग्विजय को सदन भेजा।

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36 सदस्यों ने पहली बार राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण की

राज्यसभा की शपथ ग्रहण करने वाले 45 सदस्यों में से 36 सदस्य ऐसे हैं जो पहली बार राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली है। बता दें कि हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव/उपचुनाव में 20 राज्यों से 61 राज्यसभा सदस्य चुनकर आए हैं, जिनमें से 45 ने आज शपथ ली। इन सदस्यों ने सामाजिक दूरी के मानकों का पालन करते हुए शपथ ग्रहण की। वहीं, इस अवसर पर उपराष्ट्रपति एवं उच्च सदन के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि देश के विधि निर्माता के रूप में आपका चुनाव हुआ है। अपने दायित्व के निर्वहन में आप सुनिश्चित करें कि सदन में आपका आचरण नियमों के अनुकूल हो, स्थापित मानदंडों के अनुरूप हो और सदन के बाहर आपका आचरण नैतिकता के मानदंडों के अनुसार हो।

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