कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत समेत दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था में मंदी आने वाली है। कोरोना और लॉकडाउन के बीच भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने देश में बैंकों, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें एक लाख करोड़ रुपए की नकदी देने की व्यवस्था की है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए कई ऐलान किए।
50 हजार करोड़ के टीएलटीआरओ की घोषणा
भारतीय रिजर्व बैंक ने 50 हजार करोड़ रुपए के टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन के जरिए पचास हजार करोड़ रुपए सिस्टम में लाने का ऐलान किया। हालांकि, यह कई टुकड़ों में किया जाएगा। गवर्नर दास ने कहा कि हालात की समीक्षा के बाद जरूरत हुई तो और भी नकदी डाली जाएगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आर्थिक संकट के इस दौर में इन संस्थाओं को नकदी की काफी समस्या हो रही थी।
इस फंड का क्या फायदा होगा?
बैंक और वित्तीय संस्थाएं जब इस तरह का फंड हासिल करेंगी तो उसे कंपनियों, एनबीएफसी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट के इनवेस्टमेंट ग्रेड बॉन्ड में लगाएंगी। इस तरह से कॉरपोरेट और छोटी वित्त संस्थाओं को आसानी से पैसा मिल पाएगा। इस आर्थिकट संकट में ख़ासकर लघु वित्त संस्थाओं को नकदी की काफी तंगी से गुजरना पड़ रहा है।
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नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी के लिए भी किया ऐलान
इसके अलावा आरबीआई ने नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बैंक यानी एनएचबी जैसी सरकारी वित्त संस्थाओं को 50 हजार करोड़ रुपए की रीफाइनेंस यानी पुनर्वित्त की व्यवस्था करने की भी घोषणा की है। ये सभी संस्थाएं वित्त हासिल कर फिर से जनता और उद्यमियों को कर्ज दे सकेंगी। बता दें, भारतीय रिजर्व बैंक ने ये फैसले ऐसे समय में लिए है, जब आर्थिक संकट के बादल भारतीय अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहे हैं।