ललिता पवार को एक हादसे के बाद बतौर लीड एक्ट्रेस काम मिलना हो गया था बंद

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एक अभिनेत्री के रूप में दिग्गज अदाकारा ललिता पवार ने अपने फिल्मी करियर के सात दशकों में अविश्वसनीय भूमिकाएं निभाईं। इस दौरान उन्होंने करीब 700 फिल्मों में काम किया था। ललिता ने वर्ष 1928 में वाय. डी. सर्पोदर की फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ से एक्टिंग डेब्यू किया था। वर्ष 1998 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘लाश’ उनकी आखिरी फिल्म थीं। 18 अप्रैल को दिवंगत अभिनेत्री ललिता पवार की 107वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

महज 9 साल की उम्र से शुरू की एक्टिंग

ललिता पवार का जन्म 18 अप्रैल, 1916 को महाराष्ट्र के नासिक में हुआ था। उनके पिता लक्ष्मण राव शगुन सिल्क और कॉटन का कारोबार करते थे। ललिता का बचपन का नाम अंबिका रखा गया था। आपको जानकर हैरानी होगी मगर ललिता ने महज 9 साल की उम्र से फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने वर्ष 1928 में आई फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ से फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। इस दौरान उनकी उम्र महज 9 साल थीं। वहीं, बतौर लीड एक्ट्रेस ललिता ने 40 के दशक से काम करना शुरू कर दिया।

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जब फिल्म की शूटिंग सेट पर हुआ हादसा

अभिनेत्री ललिता पवार अपने दौर की बेहतरीन अदाकार थी। वे कई फिल्मों में अपने स्टंट खुद ही किया करती थी। वे दमदार अदाकार होने के साथ एक अच्छी गायिका भी थी। अपने अदायगी से उन्होने ना सिर्फ दर्शकों का दिल जीता बल्कि निर्माता निर्देशक की भी चहेती बन गई। मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था। एक फिल्म की शूटिंग के दौरान हुए हादसे ने उनकी जिंदगी बदल कर रख दी। ये हादसा वर्ष 1942 में फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ की शूटिंग सेट पर हुआ था।

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एक थप्पड़ ने बदली ललिता पवार की जिंदगी

फिल्म की शूटिंग के दौरान एक सीन में अभिनेता भगवान दादा को अभिनेत्री ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था। भगवान दादा ने ललिता को इतनी जोर का थप्पड़ मारा की वे जमीन पर गिर पड़ी। उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया जहां वे कोमा में चली गई। इलाज के दौरान वे ठीक तो हो गई मगर उनकी दाहिनी आँख में लकवा मार गया। समय के साथ लकवा तो ठीक हो गया मगर हमेशा के लिए उनकी आँख सिकुड़ गई जिसकी वजह से उनका चेहरा खराब हो गया।

इस हादसे ने अभिनेत्री ललिता पवार का बतौर लीड एक्ट्रेस करियर खत्म कर दिया। इस हादसे के बाद उन्हें नेगेटिव रोल आना शुरू हो गये और इस तरह ललिता पवार हिंदी सिनेमा की बन गईं सबसे खतरनाक विलेन। वर्ष 1998 में आई फिल्म ‘लाश’ उनकी आखिरी फिल्म थीं। फिल्म की रिलीज़ के दो महीने से भी कम समय बाद 24 फरवरी, 1998 को उनकी मृत्यु हो गईं।

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