क्रिकेट के भगवान मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को लॉरियस स्पोर्टिंग मोमेंट अवॉर्ड 2000-2020 (Laureus Sporting Moment Award 2000-2020) से नवाजा गया है। इस अवॉर्ड से उन्हें 17 फरवरी को जर्मनी की राजधानी बर्लिन में सम्मानित किया गया।
बता दें कि क्रिकेट वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल मैच में टीम इंडिया की जीत का जश्न मनाने के दौरान यादगार पलों के लिए यह अवॉर्ड मिला। मुंबई में 2 अप्रैल, 2011 को जीत का जश्न मनाने के दौरान सचिन तेंदुलकर को उनके साथी खिलाड़ियों ने कंधों पर उठा लिया था। इसी ऐतिहासिक क्षण को पिछले 20 वर्षों में ‘लॉरियस बेस्ट स्पोर्ट मोमेंट’ माना गया। भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के समर्थन के साथ सचिन को विजेता बनने के लिए सबसे अधिक वोट मिले।
🏆 @sachin_rt 🇮🇳
Carried on the Shoulders of a Nation, the Little Master led India to their first World Cup since 1983 in 2011, at his sixth and final attempt 😱
As voted for by you, he is the ultimate Laureus Sporting Moment 2000 – 2020 🙌#Laureus20 #SportUnitesUs pic.twitter.com/zFZpM8qD3j
— Laureus (@LaureusSport) February 17, 2020
सचिन तेंदुलकर वर्ष 2011 में अपने कॅरियर का छठा और अंतिम विश्व कप खेल रहे थे। सचिन तेंदुलकर का विश्व कप जीतने का सपना तब साकार हुआ था, जब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने श्रीलंका के तेज गेंदबाज नुवान कुलसेकरा की गेंद पर छक्का जड़कर भारत को विजेता बनाया था। इस जीत के बाद भारतीय टीम के खिलाड़ी मैदान पर आए और सचिन तेंदुलकर को अपने कंधों पर उठा लिया। फिर मैदान के चारों ओर घुमाया। यह पल प्रशंसकों के लिए अविस्मरणीय है।
बर्लिन में अवॉर्ड समारोह के दौरान पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने लॉरियस स्पोर्टिंग मोमेंट अवॉर्ड-2000-2020 के विजेता की घोषणा की और पूर्व टेनिस दिग्गज बोरिस बेकर ने सचिन तेंदुलकर को ट्रॉफी सौंपी।
ऐसे याद किया सचिन उस पल
समारोह में बोरिस बेकर ने सचिन तेंदुलकर से उस पल महसूस की गई भावनाओं को साझा करने के लिए कहा। इस पर सचिन ने कहा, मेरा सफर 1983 में शुरू हुई, जब मैं 10 साल का था। भारत ने विश्व कप जीता था। मुझे उस समय इसका महत्व समझ में नहीं आया और सिर्फ इसलिए कि हर कोई जश्न मना रहा था, मैं भी पार्टी में शामिल हो गया।’
"This is a reminder of how powerful sport is and what magic it does to all of our lives."@sachin_rt gives a touching speech at the #Laureus20 awards. Tendulkar, who lifted the 2011 #CWC 🏆 with India, won the Laureus Sporting Moment Award 2000-2020.pic.twitter.com/WOfRakwGdS
— ICC (@ICC) February 18, 2020
सचिन ने कहा, ‘…लेकिन कहीं न कहीं मुझे पता था कि देश के लिए कुछ खास हुआ है और मैं एक दिन इसका अनुभव करना चाहता था और यही से मेरा सफर शुरू हुआ।’ तेंदुलकर ने स्वीकार किया कि ‘यह मेरे जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण था, उस ट्रॉफी को पकड़े हुए, जिसका मैंने 22 वर्षों तक पीछा किया, लेकिन मैंने कभी उम्मीद नहीं खोई। मैं केवल अपने देशवासियों की ओर से उस ट्रॉफी को उठा रहा था।’
क्रिकेट को अलविदा कह चुके सचिन तेंदुलकर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक है जिनके नाम कई कीर्तिमान दर्ज है। 46 वर्षीय तेंदुलकर ने कहा कि लॉरियस ट्रॉफी जीतने से भी उन्हें काफी सम्मान मिला है।
उन पर दक्षिण अफ्रीका के महान नेता नेल्सन मंडेला का बहुत प्रभाव पड़ा जिसे उन्होंने साझा किया। तेंदुलकर उनसे तब मिले, जब वह सिर्फ 19 साल के थे। सचिन ने कहा, ‘उनके कई संदेशों में से सबसे महत्वपूर्ण मुझे लगा- खेल को सभी को एकजुट करने की अद्भूत शक्ति हासिल है।’