साजिद नाडियाडवाला: वो निर्माता निर्देशक जो फिल्मों से ज्यादा अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहा

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साजिद नाडियाडवाला का जन्म 18 फरवरी 1966 को मुंबई में हुआ था। बॉलीवुड के जाने पहचाने निर्माताओं में गिने जाने वाले साजिद आज 54 वां जन्मदिन मना रहे हैं। फिल्म इंडस्ट्री में बतौर निर्माता साजिद ने 1992 में आई फिल्म ‘जुल्म की हुकुमत’ से अपने कॅरियर की शुरुआत की। जिसके बाद उन्होंने कई सुपर हिट फ़िल्मों बाघी, डिशूम, जुड़वा-2, हिरोपंती, किक,हाईवे, हाउसफुल, तमाशा, फैंटम, 2 स्टेट्स जैसी फिल्मों का निर्माण किया।

साजिद लकी नंबर्स पर यकीन करते हैं और उनका लकी नंबर 18 है। जब वह पैदा हुए थे। वहीं बता दें कि साजिद की दूसरी शादी वर्धा खान से  18 नवंबर, 2000 को हुई थी। उनकी पहली पत्नी दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला ‘दिव्या भारती’ थी। जिनकी मौत ने अचानक बॉलीवुड और यहां तक कि उनके प्रशंसकों को भी झकझोर दिया था। आज भी उनकी मौत एक रहस्य है कि उनकी मौत आत्महत्या  थी या हत्या।

किक से की निर्देशन पारी की शुरूआत

निर्देशन की दुनिया में साजिद ने सलमान खान, जैकलीन फर्नांडीज और रणदी हुड्डा स्टारर फिल्म किक से डेब्यू किया। फिल्म के एक विशेष गीत को साजिद ने दिव्या भारती के गीत ‘साथ समंदर’ को 1.5 करोड़ रुपये में खरीदा। क्योंकि साजिद बॉलीवुड में निर्देशक के रूप में डेब्यू कर रहे हैं और वह दिव्या के इस गाने ‘सात समंदर पार मैं तेरे पिछे पिछे आ गई’ को रिक्रिएट करना चाहते थे।

दिव्या भारती को दिवानों की तरह करते थे प्यार

ये साजिद की बदकिस्मती ही थी कि वे जिसे बेइंतहा मोहब्बत करते थे वे ताउम्र उनकी हो ना सकी। अपने दौर में दिव्या और साजिद का प्यार परवान पर था। दिव्या भी साजिद को दिल की गहराई से प्यार करती। उस समय दिव्या बॉलीवुड में अपनी अच्छी खासी पहचान बना चुकी थी। शोहरत, प्यार से भरी उनकी जिंदगी किसी जन्नत से कम नहीं थी। मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था।

उनकी प्रेम कहानी 10 मई 1992 को तब सामने आई जब दोनों ने गुपचुप तरीके सेे शादी कर ली।लेकिन 5 अप्रैल, 1993 की रात को दिव्या की मौत मुंबई में हुई थी। कथित तौर पर, वह वर्सोवा में पांच मंजिला तुलसी अपार्टमेंट की इमारत से गिर गई। दिव्या की मौत की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है कि यह भीषण हत्या है या आत्महत्या। मुंबई पुलिस हालांकि उसकी मौत के मुख्य कारण के पीछे पर्याप्त सबूत जुटाने में नाकाम रही और आखिरकार वर्ष 1998 में उसने आगे की जांच बंद कर दी।

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