बर्थडे: बाइचुंग भूटिया ने महज नौ साल की उम्र में जीती थी SAI की फुटबॉल स्कॉलरशिप

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Bhaichung-Bhutia-Biography

भारत के पूर्व फुटबॉल कप्तान व ‘हमरो सिक्किम पार्टी’ के संस्थापक बाइचुंग भूटिया आज अपना 47वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म 15 दिसंबर, 1976 को सिक्किम राज्य के टिनकीतम कस्बे में हुआ था। वह सिक्किम के एक किसान परिवार से आते हैं। उनके दो बड़े भाई चेवांग, बोम बोम भूटिया और एक छोटी बहन कैली हैं। भूटिया ने वर्ष 2004 में माधुरी टिपनिस से शादी की थी, लेकिन ये दोनों वर्ष 2015 में अलग हो गए। इनदोनों की 3 संतान दो बेटी और एक बेटा है। उन्होंने अपने फुटबॉल करियर में शानदार खेल की बदौलत खूब प्रसिद्धि पाईं और भारत में तीन बार वर्ष के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर भी रहे, लेकिन वह राजनीति में अबतक असफल रहे हैं। इस ख़ास अवसर पर जानिए मशहूर शख्सियत बाइचुंग भूटिया के जीवन के बारे में…

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अन्य खेलों में भी करते थे स्कूल का प्रतिनिधित्व

बाइचुंग भूटिया फुटबॉल के अलावा अपने स्कूली दिनों में बैडमिंटन, बॉस्केटबॉल और एथलेटिक्स में स्कूल का प्रतिनिधित्व करते थे। उनके परिवार के अनुसार भूटिया की खेलों में रुचि नहीं थी, लेकिन उनके पिता की मृत्यु के बाद उनके चाचा करमा भूटिया के कहने पर उन्होंने स्कूल में प्रवेश लिया। भूटिया ने ईस्ट सिक्किम के सेंट जेवियर्स स्कूल, पैकयोंग में प्रवेश लिया था। उन्होंने मात्र 9 साल की उम्र में गंगटोक में ताशी नामग्याल अकादमी में भाग लेने के लिए SAI से एक फुटबॉल स्कॉलरशिप जीती थी।

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एजुकेशन छोड़ फुटबॉल क्‍लब में शामिल हो गए थे

बाइचुंग भूटिया साल 1993 में अपनी एजुकेशन को बीच में छोड़ कर कोलकाता के ईस्‍ट बंगाल फुटबॉल क्‍लब में शामिल हो गए थे। वर्ष 1999 में भूटिया ने प्रोफेशनल फुटबॉल के लिए यूरोप का रुख किया। करीब तीन साल तक विदेशी फुटबॉल क्‍लबों के लिए खेलने के बाद भूटिया वापस भारत लौट आए थे। इसके बाद वे भारत के दो प्रसिद्ध फुटबॉल क्‍लब मोहन बगान और ईस्‍ट बंगाल के लिए सैकड़ों मैच खेले।

बाइचुंग भूटिया के अंतराराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 19 साल की उम्र में हो गई थी। उन्होंने भारत के लिए पहली बार 10 मार्च 1995 को नेहरू कप में अपना पहला मैच उज़्बेकिस्तान के खिलाफ खेला था। भूटिया उस मैच में गोल दागकर भारत के नेहरू कप में गोल दागने वाले सबसे युवा फुटबॉलर बन गए थे। उन्होंने भारतीय टीम के लिए 100 अंतराराष्ट्रीय मुकाबले खेले थे और साल 2011 में फुटबॉल से संन्यास ले लिया। बाइचुंग भूटिया यूरोपीय क्लब में खेलने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं।

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3 बार ‘इंडियन प्लेयर ऑफ द ईयर’ बने थे भूटिया

बाइचुंग भूटिया ने तीन बार ‘इंडियन प्लेयर ऑफ द ईयर’ का पुरस्कार अपने नाम किया। भूटिया आई-लीग में ईस्ट बंगाल क्लब के साथ चार सत्र तक खेले थे। फुटबाल के अलावा वे साल 2009 में डांस रियेलिटी शो ‘झलक दिखला जा’ में एक प्रतिभागी के तौर पर नज़र आए थे। वर्ष 2014 में भूटिया को ‘एशियन फुटबॉल हाल ऑफ फेम’ में शामिल किया था। बाइचुंग भूटिया साल 1998 ‘अर्जुन अवॉर्ड’ और वर्ष 2008 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्मश्री अवॉर्ड’ से सम्मानित किए गए। भूटिया ने तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थन के लिए ओलंपिक मशाल रिले का बहिष्कार किया था। रिटायरमेंट के बाद साल 2011 में ही भूटिया यूनाइटेड सिक्किम क्लब के कोच एवं मैनेजर बने थे।

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राजनीति में अब तक फ़ेल रहे हैं बाइचुंग भूटिया

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बाइचुंग भूटिया ने ​ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर ली और पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग संसदीय सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वे 17 परसेंट मार्जिन से चुनाव हार गए। साल 2016 में उन्होंने एक बार फ़िर टीएमसी के टिकट पर दार्जिलिंग के सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन ​उन्हें दूसरी बार भी हार का सामना करना पड़ा।

फ़रवरी 2018 में बाइचुंग भूटिया ने टीएमसी छोड़ दी और 31 मई, 2018 को अपनी ‘हमरो सिक्किम पार्टी’ बना ली। सिक्किम में इसी साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी मैदान में उतरी। खुद भूटिया गंगटोक सीट से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें एक बार फ़िर हार मिलीं।

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