दुनिया के नक्शे पर एक बोगेनविल नामक एक नया देश नजर आने वाला है। अलग देश के लिए हुए जनमत संग्रह के आधार पर पापुआ न्यू गिनी से अलग देश घोषित होने वाला है। लगभग एक दशक से जारी हिंसा के खत्म होने की कगार पर है।
बोगेनविल के निवासियों ने अपनी आजादी के लिए हुए जनमत संग्रह में बढ़ चढ़कर भाग लिया। खबरों के मुताबिक अलग देश बनाने के लिए 23 नवंबर में मतदान हुआ था। जिसके परिणाम 11 दिसंबर को आया है। मतदान में 176,928, लोगों ने भाग लिया जो कुल आबादी का करीब 98 फीसदी है जो आजादी के समर्थन में वोट किया। वहीं केवल 3,043 वोट पापुआ न्यू गिनी के साथ रहना चाहते हैं। बाकी एक हजार वोट अवैध हुए। इस द्वीप की कुल जनसंख्या 2.49 लाख की है।
अब यह रेफरेंडम पापुआ न्यू गिनी की संसद में पेश किया जाएगा। इसका वहां की संसद में विरोध हो सकता है।
कैसे पड़ा बोगनविल नाम
प्रशांत महासागर में स्थित पापुआ न्यू गिनी के एक द्वीप, जिसका नाम 18वीं शताब्दी में फ्रांसिसी खोजकर्ता नाविक लुई डे एंटोनियो बोगनविल के नाम पर ‘बोगनविल’ रखा गया। उसने ही इस द्वीप की खोज की थी।
इस द्वीप पर 19वीं सदी में जर्मनी का अधिकार था। द्वितीय विश्व युद्ध में जापान ने इस द्वीप का इस्तेमाल मिलिट्री बेस के रूप में किया था। बाद में वर्ष 1975 तक यहां ऑस्ट्रेलिया के अधिकार में रहा था। इसके बाद बोगनविल पापुआ न्यू गिनी का हिस्सा बना।
इस द्वीप का क्षेत्रफल 9,318 किमी है। इसकी राजधानी बुका द्वीप बनेगी। यही से देश का संचालन होगा। यहां पर सोने और तांबे के भंडार हैं।
आजादी के लिए संघर्ष में 20 हजार लोगों की गई जान
बोगनविल द्वीप पर मौजूद प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल को लेकर यहां के लोगों और पापुआ न्यू गिनी की सेना के बीच लंबे समय तक संघर्ष चला। वर्ष 1989 में शुरू हुए इस संघर्ष का अंत वर्ष 1998 में समाप्त हुआ था। आंकड़ों के अनुसार इस संघर्ष में करीब 20 हजार लोगों की जान गई थी।