उर्दू अदब की दुनिया में कई ऐसे शायर हुए हैं, जिन्होंने अपने कलामों में रुमानियत की शुरुआत की। मजाज़ ने उस दौर में लिखना शुरू किया जब प्रगतिवाद का दौर था। इस दौर में कई नामचीन शायर हुए इनमें फैज़, जोश मलीहाबादी जैसे मशहूर नाम शामिल हैं। मजाज़ का असल नाम असरारुल हक़ था। उनका जन्म 19 अक्टूबर, 1911 में रुदाउली में हुआ था। मजाज़ खासकर लड़कियों के बीच खासे लोकप्रिय हुए। उनकी रुमानियत भरी नज्में, शायरियां लड़कियों की दीवानगी के लिए होती।
उर्दू की दुनिया में जो दर्जा उन्हें हासिल था। वह बहुत ही कम शायरों के हिस्से था। उनकी कलामों की लोकप्रियता इस कद्र थी कि उनकी नज्में दूसरी भाषाओं में भी सराही गई। मजाज़ को शराब की लत ने मार डाला। वे सोते जागते, उठते, बैठते जमकर शराब पीते थे। 5 दिसंबर 1955 के दिन कम उम्र में ही मजाज़ लखनवी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। जयंती के मौके पर पढ़िए उनकी कुछ बेहतरीन नज़्मेेेें…
1. “तुझी से तुझे छीनना चाहता हूं
ये क्या चाहता हूं, ये क्या चाहता हूं।”
2. “तेरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था”
3.”कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी
कुछ मुझे भी ख़राब होना था”
4.”इश्क़ का ज़ौक़-ए-नज़ारा मुफ़्त में बदनाम है
हुस्न ख़ुद बे-ताब है जल्वा दिखाने के लिए”
5.”मुझ को ये आरज़ू वो उठाएँ नक़ाब ख़ुद
उन को ये इंतिज़ार तक़ाज़ा करे कोई”
6.”ये मेरे इश्क़ की मजबूरियाँ मआज़-अल्लाह
तुम्हारा राज़ तुम्हीं से छुपा रहा हूँ मैं”
7.”दफ़्न कर सकता हूँ सीने में तुम्हारे राज़ को
और तुम चाहो तो अफ़्साना बना सकता हूँ मैं”
8.”क्या क्या हुआ है हम से जुनूँ में न पूछिए
उलझे कभी ज़मीं से कभी आसमाँ से हम”
9.”बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना
तिरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है”
10.”रोएँ न अभी अहल-ए-नज़र हाल पे मेरे
होना है अभी मुझ को ख़राब और ज़ियादा”
11.”आँख से आँख जब नहीं मिलती
दिल से दिल हम-कलाम होता है”
12.”बताऊँ क्या तुझे ऐ हम-नशीं किस से मोहब्बत है
मैं जिस दुनिया में रहता हूँ वो इस दुनिया की औरत है”
13.”क्यूँ जवानी की मुझे याद आई
मैं ने इक ख़्वाब सा देखा क्या था”
14.”ये आना कोई आना है कि बस रस्मन चले आए
ये मिलना ख़ाक मिलना है कि दिल से दिल नहीं मिलता”
15.”तुम्हीं तो हो जिसे कहती है नाख़ुदा दुनिया
बचा सको तो बचा लो कि डूबता हूँ मैं”