राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से आयोजित आरजेएस भर्ती परीक्षा—2018 परिणाम जारी हो चुका है जिसमें जयपुर के मयंक प्रताप सिंह को पहला स्थान मिला है। मंयक की उम्र सिर्फ 21 साल है। मयंक प्रताप सिंह देशभर में सबसे कम उम्र के जज बने हैं।
आरजेएस—2018 में कुल 197 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है जिसमें से करीब 64 फीसदी पदों पर महिला अभ्यर्थियों ने बाजी मारी है। यही नहीं वरीयता सूची में भी शीर्ष दस स्थानों में से आठ पर महिला अभ्यर्थियों को स्थान मिला है। टॉप 10 अभ्यर्थियों का वरीयता क्रम इस प्रकार है- मयंक प्रताप सिंह, तन्वी माथुर, दीक्षा मदान, सोनल व्यास, कृतिका शेखावत, प्रिया गुप्ता, हिमानी जैन, शिखा पुरोहित, सोनल ललवानी तथा शुभम अग्रवाल।
मंयक प्रताप सिंह पहले प्रयास में बने जज
देश के सबसे कम उम्र में जज बने मयंक का यह पहला प्रयास था। मयंक ने आरजेएस परीक्षा 21 वर्ष छह माह की उम्र में उत्तीर्ण की है। पहले प्रयास में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करना एक बड़ी उपलब्धि है।
मयंक के माता—पिता उदयपुर में व्याख्याता है। उसने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कानून की पढ़ाई करने का निश्चय किया। उसने वर्ष 2014 में राजस्थान विश्वविद्यालय के स्नातक एलएलबी पाठ्यक्रम में एडमिशन लिया था। कॉलेज पढ़ाई के साथ ही उन्होंने आरजेएस परीक्षा की तैयारी करना शुरू की दी।
उन्होंने आरजेएस की परीक्षा के लिए सेल्फ स्टेडी की, उसने किसी भी तरह की कोई कोचिंग नहीं की। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए मयंक ने पढ़ाई के दौरान ही सिलेबस के अनुसार गहनता से अध्ययन किया।
मयंक को परीक्षा में उत्तीर्ण होने का पूरा विश्वास था, क्योंकि आरजेएस परीक्षा के प्रश्नपत्र अच्छे से हुए थे। जिसकी वजह से उन्हें चयन का पूरा भरोसा था लेकिन पहले स्थान पर आएंगे इसकी उम्मीद नहीं थी। परीक्षा किसी भी तरह से आसान नहीं कहीं जा सकती है। आरजेएस में सबसे मुश्किल इंटरव्यू होता है। वहां हाई कोर्ट के दो जज और विधि विशेषज्ञ बैठते हैं। मयंक ने बताया कि मेरा साक्षात्कार करीब आधे घंटे चला। मेरे बारे में पूछने के अलावा विधि क्षेत्र से जुड़े कई सवाल भी पूछे गए।
मयंक को अब एक नई जिम्मेदारी मिलने जा रही है, वह बहुत महत्वपूर्ण है और कोशिश रहेगी कि कानून के दायरे में रहकर ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद कर सके।