पूर्व भारतीय पैरा एथलीट, पैरालंपिक पदक विजेता व वर्तमान में भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) की अध्यक्ष दीपा मलिक आज 30 सितंबर को अपना 53वां जन्मदिन मना रही हैं। उन्होंने साल 2016 के ग्रीष्मकालीन पैरालम्पिक में शॉटपुट स्पर्धा में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा। पैरा खिलाड़ी दीपा को पैरालम्पिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव प्राप्त है। उनके बारे में एक ख़ास बात यह है कि जिस उम्र में ज्यादातर एथलीट संन्यास ले लेते हैं, उस उम्र में उन्होंने खेलना शुरू किया और देश को कई पदक दिलाए हैं। साल 2019 में दीपा मलिक को देश का सर्वोच्च खेल पुरस्कार ‘खेल रत्न’ से सम्मानित किया गया था। इस ख़ास अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
तीस की उम्र में करवानी पड़ी स्पाइन ट्यूमर की सर्जरी
दीपा मलिक का जन्म 30 सितंबर, 1970 को हरियाणा राज्य के सोनीपत जिले के भैंसवाल गांव में हुआ था। उनके पिता कर्नल बी. के. नागपाल हैं। दीपा की शादी कर्नल विक्रम सिंह से हुईं। उनके दो बेटियां हैं। वर्ष 1998 में दीपा ने ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीता था। वर्ष 1999 में उनके जीवन बहुत बुरा गुजरा, उन्हें स्पाइनल ट्यूमर होने की वजह से तीन बार सर्जरी से गुजरना पड़ा। इस सर्जरी के बाद दीपा के शरीर का सीने से नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया। तब उनकी उम्र 30 साल थी। इस दौरान उनके पति कर्नल विक्रम कारगिल में देश के लिए दुश्मनों से लोहा ले रहे थे। इसके बाद उन्होंने पैरालम्पिक खेलों में अपना करियर बनाने का निश्चय किया।
पहला पदक कांस्य के रूप में शॉटपुट में जीता
दीपा मलिक ने तीन सर्जरी के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और इसके बाद ही उन्होंने पैरा एथलीट के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने शॉटपुट, डिस्कस थ्रो और जेवलिन थ्रो का प्रशिक्षण प्राप्त किया। दीपा ने अपना पहला पदक कांस्य के रूप में वर्ष 2009 में शॉटपुट में जीता था। इसके बाद उन्होंने चीन में हुए पैरा एशियन खेलों में कांस्य पदक जीता। यह पदक जीतने वाला दीपा पहली भारतीय महिला बनीं। दीपा ने वर्ष 2011 में वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में रजत पदक अपने नाम किया। उसी वर्ष शारजहां में वर्ल्ड गेम्स में उन्होंने दो कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया।
साल 2012 में दीपा मलिक ने मलेशिया ओपन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए जेवलिन और डिस्कस थ्रो दोनों स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक अपने नाम किए। 2014 में चाइना ओपन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप बीजिंग में शॉटपुट में स्वर्ण पदक जीता। दीपा ने इसी साल दक्षिण कोरिया के इंचियोन एशियन पैरा गेम्स में रजत पदक जीतकर रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने दुबई में ओशिआनिया एशियन चैंपियनशिप में जेवलिन थ्रो प्रतियोगिता में स्वर्ण और शॉटपुट में भी कांस्य पदक जीता। दीपा मलिक शॉटपुट व जेवलिन थ्रो के साथ-साथ तैराकी और मोटर रेसलिंग से भी जुड़ी हैं।
इन पुरस्कार और सम्मानों से नवाज़ा जा चुका
दीपा मलिक को खेल के क्षेत्र में दिए उल्लेखनीय योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। उन्हें 29 अगस्त, 2019 को ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ पुरस्कार से नवाज़ा गया। इससे पहले उन्हें वर्ष 2012 में ‘अर्जुन पुरस्कार’, वर्ष 2014 में ‘राष्ट्रपति रोल मॉडल अवॉर्ड’ और वर्ष 2017 में ‘पद्मश्री पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें कई राज्यों ने भी पुरस्कृत किया है- जिसमें ‘महाराणा मेवाड़ अरावली स्पोर्ट्स अवॉर्ड-2012’, ‘मिसाल ए हिम्मत अवॉर्ड-2012’, ‘महाराष्ट्र छत्रपति अवॉर्ड स्पोर्ट्स-2009-10’, ‘हरियाणा करमभूमि अवॉर्ड 2008’ आदि शामिल हैं।
उनके करियर की बात करें तो दीपा मलिक ने तैराकी, जेवलिन थ्रो, शॉटपुट और डिस्कस जैसी स्पर्धाओं में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 23 और राष्ट्रीय स्तर पर 68 पदक जीतें हैं। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति द्वारा दुनिया की 10 सबसे प्रेरणादायक महिला पैरा-एथलीटों में चुना गया था। दीपा ने वर्ष 2017 में ‘ग्रेट एशिया वुमन अचीवर्स’ अवॉर्ड्स, 2017 में शीर्ष 10 एशियाई महिला नेताओं में भी स्थान प्राप्त किया।
सामाजिक कार्यों के लिए रहती हैं तत्पर
भारतीय पैरा एथलीट दीपा मलिक खेल के साथ ही सामाजिक कार्य करने में भी हमेशा तत्पर रहती हैं। वह गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए कैंपेन चलाती हैं और सामाजिक संस्थाओं के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर भाग लेती हैं। इनके अलावा वह लेखन का कार्य करती हैं। दीपा अपनी बायोग्राफी से लेकर खिलाड़ियों की प्रेरक बातों को लिखने का भी काम करती हैं।
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