मोदी कैबिनेट की बैठक में बुधवार को कई अहम फैसले लिए गए, जिसमें ई-सिगरेट पर प्रतिबंध एक है। केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इन फैसलों की जानकारी देते हुए बताया, ’11 लाख 52 हजार रेलवे कर्मचारियों को इस साल 78 दिन के वेतन के बराबर बोनस दिया जाएगा। इस पर 2,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आएगा।
जावड़ेकर ने कहा कि यह फैसला कैबिनेट ने कर्मचारियों की उत्पादकता और मनोबल को ध्यान में रखते हुए लिया है। बता दें, रेलवे कर्मचारियों को पिछले 6 साल से बोनस दिया जा रहा है।
युवाओं को ई-सिगरेट की लत से बचाना जरूरी
ई-सिगरेट पर बैन के फैसले पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि कैबिनेट ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने की मंजूरी दे दी है। इसके उत्पादन, इंपोर्ट-एक्सपोर्ट, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन पर रोक लागू होगी। सीतारमण ने बताया कि रिपोर्ट्स के मुताबिक़, ई-सिगरेट के 400 ब्रांड और 150 फ्लेवर इस समय मार्केट में मौजूद हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इनमें से कोई भी भारत में नहीं बनता। युवाओं और बच्चों को ई-सिगरेट की लत के खतरे से बचाने के लिए सही समय पर यह फैसला लिया है। भारत में ई-सिगरेट की बिक्री अभी काफी कम है लेकिन, युवाओं में धीरे-धीरे इसकी लत लगातार बढ़ रही है, जो बहुत चिंताजनक है। इसका इस्तेमाल करना युवाओं के लिए स्टाइल स्टेटमेंट बनता जा रहा है।
नियम तोड़ने वालों के ख़िलाफ़ होगी कार्रवाई
मीडिया ख़बरों के अनुसार, ई-सिगरेट पर बैन के अध्यादेश के ड्राफ्ट में स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रस्ताव रखा है कि पहली बार नियम तोड़ने वालों को 1 साल तक की जेल हो और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगे। अगर कोई दूसरी बार उल्लंघन करें तो उस पर 3 साल तक की जेल या 5 लाख रुपए जुर्माना या फिर दोनों सजाओं का प्रस्ताव रखा गया है। देश में अब ई-सिगरेट का इस्तेमाल करना महंगा पड़ेगा। नया कानून इसका इस्तेमाल करने वालों में डर पैदा करने का काम करेगा।
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क्या है ई-सिगरेट?
इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट यानि ई-सिगरेट एक बैटरी डिवाइस होती है। इसके जरिए फ्लेवर्ड लिक्विड सॉल्यूशन को सांस के साथ भीतर खींचा जाता है। इसको पीने पर सिगरेट जैसा ही अहसास होता है। ई-सिगरेट से फेंफड़ों की बीमारियां बढ़ने का ख़तरा बहुत ज्यादा था, जिसको देखते हुए न्यूयॉर्क में इसे मंगलवार को बैन कर दिया गया।