फेमस हो रही हैं 1 रूपये में इडली बेचने वाली दादी मां, आनंद महिंद्रा भी इम्प्रेस

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इन दिनों सोशल मीडिया में बड़ी ताकत है। ये किसी को भी रातों रात फेमस बना सकता है। खासतौर से जब साधारण से दिखने वाले लोग बड़े काम करते हैं तो उनके वीडियो खूब वायरल होते हैं। कुछ दिनों पहले रेलवे स्टेशन पर गाना गाने वाली रानू मंडल बॉलीवुड तक पहुंच गई। अब सोशल मीडिया पर 1 रूपये में इडली बेचने वाली दादी अम्मा फेमस हो रही है।

80 साल की इन दादी अम्मा का नाम है कमलाथल। इनकी खासियत है कि ये इस उम्र में भी सारा काम खुद करती हैं। इस महंगाई में ये सिर्फ 1 रूपये में एक इडली बेचती हैं। इस दादी अम्मा का लक्ष्य पैसा कमाना नहीं है। इनका लक्ष्य है कम पैसों में गरीब लोगों को भरपेट खाना खिलाना। इनका वीडियो इन दिनों जमकर वायरल हो रहा है। लोग इनके वीडियो को शेयर भी कर रहे हैं। 80 साल की दादी कमलाथल के काम को देखकर बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा भी प्रभावित हो गए हैं।

आनंद म​हिंद्रा भी इम्प्रेस हुए इडली वाली दादी से

आनंद महिंद्रा ने अपने ट्​विटर हैंडल पर दादी के काम की सराहना करते हुए उनके बिजनेस में इंवेस्ट करने की बात कही। महिंद्रा ने लिखा कि यह उन विनम्र कहानियों में से एक जो आपको आश्चर्यचकित करती है, लेकिन अगर आप भी कमलाथल जैसा कुछ प्रभावशाली काम करते हैं, तो यकीनन वो दुनिया को हैरान करेगा। मैंने नोटिस किया है कि वह अभी भी एक लकड़ी से जलने वाले चूल्हे का उपयोग करती हैं। अगर कोई उन्हें जानता है तो मैं उन्हें एक एलपीजी ईंधन वाला चूल्हा देना चाहूंगा और उनके व्यवसाय में निवेश करने में मुझे खुशी होगी।’

अब जान लीजिए इन इडली वाली दादी का पूरा रूटीन। 80 साल की उम्र में भी ये दादी जिस जज्बे से काम करती है वो पढ़कर बहुतों को प्रेरणा मिल सकती है।

सुबह 5 बजे से उठकर काम पर लग जाती है दादी

कमलाथन जो पूरे दिन भर में करीब हजारों लोगों का पेट भरती है वो खुद सुबह 5 बजे उठ जाती हैं। ये तमिलनाडु के वड़िवेलम्पलयम गांव में रहती हैं। ये सुबह नहाने के बाद बेटे के साथ फार्म की ओर चल देती हैं। यहां सब्जियां, नारियल, नमक और चटनी के लिए मसाले रखे हैं। काम की शुरुआत सब्जियों के काटने से होती है जिसका इस्तेमाल सांभर बनाने में किया जाता है। सांभर चूल्हे पर चढ़ाने के बाद कमलाथल चटनी तैयार करती हैं। इडली बनाने के लिए सामग्री को एक दिन पहले ही तैयार करती हैं। सुबह 6 बजते ही ग्राहकों के लिए घर के दरवाजे खुलते हैं। टीनशेड के नीचे ग्राहक बैठकर एक रुपए में इडली-सांभर और चटनी का स्वाद चखते हैं। यहां आने वाले ज्यादातर ग्राहक ऐसे हैं जो रोजाना आते हैं।

दादी को ऐसे आया दुकान खोलने का आइडिया

कमलाथल कहती हैं इसकी शुरुआत 30 साल पहले हुई थी। मैं एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हूं। सुबह-सुबह घर के सदस्य खेतों में पहुंच जाते थे और मैं अकेली पड़ जाती थी। तभी स्थानीय लोगों के लिए इडली बनाने का ख्याल आया। सुबह-सुबह काम पर पर जाने वाले मजदूरों के लिए इडली की छोटी सी दुकान शुरू की, ताकि इन्हें कम पैसे में ऐसा खाना मिले जो उन्हें सेहतमंद रखे।

पहले सिर्फ 50 पैसे में बेचती थी इडली

कमलाथल की दुकान सुबह 6 बजे से दोपहर तक खुलती है। एक बार में सांचे से 37 इडली बनती हैं। इनकी दुकान पर रोजाना 1 हजार इडली बिकती हैं। 10 साल पहले तक एक इडली का दाम 50 पैसे था जिसे बाद में बढ़ाकर एक रुपए किया गया। इडली-सांभर को पत्तों पर परोसा जाता है जो उनके फार्म से ही आता है। रोजाना की दुकानदारी से दादी 200 रुपए कमाती हैं। यह कहती हैं कि मुझे लोग कहते हैं कि इडली के दाम बढ़ाने चाहिए। लेकिन मेरे लिए लोगों का पेट भरना और जरूरतमंदों की मदद करना प्राथमिकता है। मैं भविष्य में कभी भी इसके दाम नहीं बढ़ाऊंगी। तमिलनाडु में एक इडली 5 से 20 रुपए में मिलती है।

फेमस होती गई तो कस्टमर बढ़ते गए

कमलाथल इडली के कारण अब अपने गांव के अलावा पूरे तमिलनाडु में प्रसिद्ध हो चुकी हैं। अब आसपास के गांवों से भी नए ग्राहक यहां पहुंचने लगे हैं। इडली का स्वाद चखने बोलूवमपट्टी, पूलुवमपट्टी, थेंकराई और मथीपल्लयम क्षेत्र से रोजाना ग्राहक यहां पहुंचते हैं। कमलाथल कहती हैं मैं बूढ़ी हो चुकी हूं इसलिए मेरे बेटे के बच्चे कई बार यह दुकान बंद करने को कहते हैं मगर मैं ऐसा नहीं करूंगी। मुझे लोगों को खाना खिलाकर सुख मिलता है। हाल ही में एक ग्राहक के कहने पर नाश्ते में उजुंथु बोन्डा शामिल किया गया है जिसकी कीमत 2.50 रुपए रखी गई है।

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