‘कई चाँद थे सर-ए-आसमाँ में चमक चमक के पलट गए’…पढ़ें चांद पर ये खूबसूरत शायरियां

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Chand shayari

एक बार फिर भारत अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रचने जा रहा है। सभी का ध्यान चंद्रयान-2 पर है। जो 7 सितंबर को चांद पर उतरेगा। इस ऐतिहासिक पल पर ना सिर्फ देश बल्कि दुनिया की नजर टिकी हुई है। विज्ञान की दुनिया में अब वो दिन लद गए जब चांद-सितारे महज गानों, किताबों और फिल्मों तक ही सीमित हुआ करते थे। विज्ञान के कारण अब चांद पर पहुंचना संभव हो पाया है।

‘चंदा मामा दूर’ के जैसी कविता से लेकर ‘खोया खोया चांद’…जैसे कई गानों तक चांद ने सभी की जिंदगी को रोशन किया है। गानों के अलावा चांद पर कई दिग्गज कलमगारों ने अपनी रचनाओं में चांद का उल्लेख किया है। कुछ ऐसी ही खूबसूरत शायरियां हम आपके लिए लाए हैं जो चांद पर आधारित है।

1. बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर
पलकों से लिख रहा था तेरा नाम चाँद पर

2. फूल गुल शम्स ओ क़मर सारे ही थे
पर हमें उन में तुम्हीं भाए बहुत – मीर तक़ी मीर

3. देखा हिलाल-ए-ईद तो आया तेरा ख़याल
वो आसमाँ का चाँद है तू मेरा चाँद है

4. उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा
आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा- इफ़्तिख़ार नसीम

5. कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की इक ख़ूबसूरत शाम हो जाए – बशीर बद्र

6. ईद का चाँद तुम ने देख लिया
चाँद की ईद हो गई होगी

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7. कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा – इब्न-ए-इंशा

8. इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चाँद – परवीन शाकिर

9. ऐ काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए
इक चाँद फ़लक पर निकला हो इक चाँद सर-ए-बाम आ जाए – अनवर मिर्ज़ापुरी

10. चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रोशनी पानी में है -फ़रहत एहसास

11. वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा
तो इंतज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं – फ़रहत एहसास

12. रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चाँद – परवीन शाकिर

13. फ़लक पे चाँद सितारे निकलने हैं हर शब
सितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद – पंडित जवाहर नाथ साक़ी

14. चाँद का हुस्न भी ज़मीन से है
चाँद पर चाँदनी नहीं होती – इब्न-ए-सफ़ी

15. वो रातें चाँद के साथ गईं वो बातें चाँद के साथ गईं
अब सुख के सपने क्या देखें जब दुख का सूरज सर पर हो – इब्न-ए-इंशा

16. चाँद से तुझ को जो दे निस्बत सो बे-इंसाफ़ है
चाँद के मुँह पर हैं छाईं तेरा मुखड़ा साफ़ है – शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

17. रात को रोज़ डूब जाता है
चाँद को तैरना सिखाना है – बेदिल हैदरी

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18. हर एक रात को महताब देखने के लिए
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए – अज़हर इनायती

19. चाँद ख़ामोश जा रहा था कहीं
हम ने भी उस से कोई बात न की – महमूद अयाज़

20. हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सब बदल जाएगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा – बशीर बद्र

21. हम-सफ़र हो तो कोई अपना-सा
चाँद के साथ चलोगे कब तक – शोहरत बुख़ारी

22. मुझ को मालूम है महबूब-परस्ती का अज़ाब
देर से चाँद निकलना भी ग़लत लगता है – अहमद कमाल परवाज़ी

23. सब सितारे दिलासा देते हैं
चाँद रातों को चीख़ता है बहुत

24. दूर के चाँद को ढूँडो न किसी आँचल में
ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला – निदा फ़ाज़ली

25. ये किस ज़ोहरा-जबीं की अंजुमन में आमद आमद है
बिछाया है क़मर ने चाँदनी का फ़र्श महफ़िल में – सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

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26. रात इक शख़्स बहुत याद आया
जिस घड़ी चाँद नुमूदार हुआ – अज़ीज अहमद ख़ाँ शफ़क़

27. आसमान और ज़मीं का है तफ़ावुत हर-चंद
ऐ सनम दूर ही से चाँद सा मुखड़ा दिखला – हैदर अली आतिश

28. लुत्फ़-ए-शब-ए-मह ऐ दिल उस दम मुझे हासिल हो
इक चाँद बग़ल में हो इक चाँद मुक़ाबिल हो – मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस

29. तुम जिसे चाँद कहते हो वो अस्ल में
आसमाँ के बदन पर कोई घाव है – त्रिपुरारि

30. गुल हो महताब हो आईना हो ख़ुर्शीद हो मीर
अपना महबूब वही है जो अदा रखता हो – मीर तक़ी मीर

31. कई चाँद थे सर-ए-आसमाँ कि चमक चमक के पलट गए
न लहू मेरे ही जिगर में था न तुम्हारी ज़ुल्फ़ सियाह थी – अहमद मुश्ताक़

32. चाँद में कैसे नज़र आए तेरी सूरत मुझे
आँधियों से आसमाँ का रंग मैला हो गया – अफ़ज़ल मिनहास

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