आसान नहीं है एक शिक्षक की राह, भावुक कर देने वाली ये पांच प्रेरणादायक कहानियां

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एक शिक्षक अपनी पूरा जीवन बच्चों की जिंदगी बनाने में लगा देता है। उनका ये काम तब सफल होता है जब उनके पढ़ाए विधार्थी कुछ बन जाते है। मगर इस समाज में कुछ ऐसे भी शिक्षक है जो मिसाल के तौर पर जाने जाते है। इस पोस्ट में हम बात करेंगे ऐसे ही महान शिक्षकों के बारे में जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की।

सुपर-30 के आनंद कुमार की कहानी

बिहार के आनंद कुमार जो सुपर-30 से दुनियाभर में अपनी पहचान बनाए चुके हैं। जी हां हम उसी आनंद की बात कर रहे हैं जिन पर बॉलीवुड की हिट फिल्म सुपर-30 आधारित है। आनंद कुमार की जिंदगी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं। पटना के आनंद कुमार बेहद साधारण परिवार से हैं। उनके पिता पोस्टल विभाग में कलर्क की नौकरी करते थे। बचपन से ही आनंद को गणित विषय में बेहद दिलचस्पी थी। गणित के प्रति उनकी यही दीवानगी उनके करियर में कामयाबी की कुंजी बनी।

गणित में उनके ज्ञान से अध्यापक भी बेहद प्रभावित हुए। मगर पिता के देहांत और घर की आर्थिक बदहाली के कारण आनंद के कंधो पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई। वे घर पर ट्यूशन पढ़ाते और शाम को मां के बनाए पापड़ साइकिल पर घूम घूम कर बेचते। आनंद ने गणित विषय का ट्यूशन सेंटर रामानुजम स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स खोला। आनंद के सेंटर में अधिकतर वो बच्चे आते जो ज्यादा फीस नहीं दे सकते थे। धीरे—धीरे यहां पढ़ने वालों की संख्या बढ़ती गई। बच्चों की हालत देखते हुए साल 2002 में आनंद ने सुपर-30 की नींव रखी। हर साल आईआईटी रिजल्ट्स के दौरान जबरदस्त सुर्खियां बटोरते हैं। आनंद ने शुरूआत में केवल तीस बच्चों को नि:शुल्क आईआईटी की कोचिंग दी। साल 2003 में ही आईआईटी प्रवेश परीक्षाओं में सुपर 30 के 18 बच्चों को इसमें सफलता मिली। साल 2003 से हर साल सुपर-30 के बच्चे आईआईटी में सफलता पा रहे हैं।

जब टीचर की विदाई पर रो पड़ा पूरा गांव

कुछ कर गुजरने का जूनून व्यक्ति को लोगों के बीच बेहद चर्चित बना देता है। ऐसा ही कुछ हाल उतराखंड में देखने को मिला। उत्तरकाशी में असी गंगा घाटी स्थित राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली के शिक्षक आशीष डंगवाल उन शिक्षकों में से एक है जिनके विदाई समारोह में ना सिर्फ बच्चे बल्कि पूरा गांव रो पड़ा। इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुई। जिनमें आशीष के जाने का दुख नजर आ रहा था।

NEET की फ्री कोचिंग देते है अजयवीर

बिहार के आनंद कुमार और उड़ीसा के अजयवीर भले ही अलग अलग राज्यों से है मगर दोनों का लक्ष्य एक ही है और वो है बच्चों का भविष्य उज्जवल करना। उड़ीसा के अजयवीर गरीब बच्चों को नीट की फ्री कोचिंग देते हैं। आनंद कुमार की तरह ही अजयवीर के 14 स्टूडेट्स ने साल 2019 की परीक्षा पास की है।

पढ़ाने की नई शैली के लिए मिल रही पहचान

बच्चों में पढ़ाई को दिलचस्प बनाने और उनका ध्यान बनाए रखने के लिए ओड़िशा के सरकारी स्कूल के एक हेडमास्टर प्रफुल्ल कुमार पाथी ने अनोखा तरीका इजात किया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में प्रफुल्ल नाच गाकर सिखा रहे हैं। सोशल मीडिया पर वे पढ़ाई के अनोखे तरीके से पिछले कुछ समय से टॉकिंग पॉइंट बने हुए हैं।

नौकरी छोड़ हजारों बच्चों का स्कूल बना ये शिक्षक

शिक्षा के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है संदीप राजपूत ने। जिन्होंने गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए नौकरी तक छोड़ दी। दरअसल संदीप का ध्यान सड़क किनारे रहने वाले बच्चों ने अपनी ओर खींचा। जो स्कूल जाने में असमर्थ थे। संदीप ने इन बच्चों को पढ़ाने का निश्चय किया। संदीप ने नौकरी छोड़ इन बच्चों के लिए इनोवेशन मोबाइल स्कूल शुरू किया। जिसकी सहायता से वे आज 2000 से ज्यादा बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं।

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