मार्केट में इन दिनों भाई बहन के खास त्योहार राखी को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। बाजरों में राखियों और गिफ्ट्स की खास रौनक नज़र आ रही है। भाई की कलाई सबसे सुंदर लगे इसके लिए बहनें डिफरेंट तरह की राखियां पसंद कर रही हैं। वहीं बहन के चेहरे पर खुशी लाने और उनके प्रति अपना प्यार जाहिर करने के लिए भाई भी बेहतर की गिफ्ट्स की तलाश कर रहे हैं। यही कारण है कि मार्केट में गिफ्ट्स और राखी के कई ऑप्शन मौजूद हैं।
लेकिन इन सबके बीच क्या आपने सोचा है कि इस त्योहार के बाद बांधी की गई राखियों का अमूमन क्या होता है। बांधी गई राखी खोलकर संभालकर रख दी जाती है या फिर वह कुछ समय बाद पानी लगकर खराब हो जाती है और फिर उसे फेंक दिया जाता है। यानी प्यार से बांधा गया धागा कुछ समय के लिए ही रह पाता है। ऐसे में यदि आपके पास ऐसा ऑप्शन हो जिसमें प्यार का धागा लम्बे समय तक बना रहे तो कैसा रहेगा? जी हां, मार्केट में तमाम तरह की डेकोरेटिव राखियों के अलावा सीड्स राखी भी मौजूद है, जिसकी ओर कम ही लोगों का ध्यान जाता है। ये राखियां ना केवल खूबसूरत हैं बल्कि ये ईको फ्रेंडली भी हैं।
क्या होती है सीड्स राखी
इस तरह की राखी में कागज, पत्ते या जूट से बनी डिजाइन के बीच सीड लगा होता है। इस राखी को कलाई पर बांधने के बाद मिट्टी में दबा देने पर कुछ ही दिनों में इसमें से एक पौधा उग जाता है। यानी बहन का प्यार पौधे के रूप में दिखाई देता है। खास बात यह है कि जैसे यह पौधा बड़ा होता है भाई बहन के रिश्ते में अलग ही तरह की खुशियां शामिल होने लगती है। इसके अलावा पर्यावरण की दृष्टि से भी यह काफी फायदेमंद है। अन्य राखियों से इतर सीड राखी से पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।
ऐसे बनती है सीड बॉल्स
सीड बॉल्स में मिट्टी व खाद के मिश्रण के साथ बीजों को सुखाया जाता है ताकि उसे अंकुरण तक सुरक्षित रखा जा सकें। जब इन सीड्स बॉल्स को गार्डन या अन्य किसी मिट्टी में फेंका जाता है तो यह अंकुरित होने शुरू हो जाते हैं।
मिट्टी की पूजा थाली भी खास
राखी पर भाई की आरती उतारी जाती है। जाहिर है मार्केट में इसके लिए डिफरेंट तरह की डेकोरेटिव थालियां भी उपलब्ध हैं। लेकिन इसमें भी कुछ लोग पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं। बाजार में मिट्टी और जूट से बनी पूजा थाली भी मिल रही है। साथ ही रोली और चावल रखने के लिए दीयों का प्रयोग किया जा रहा है। यह थाली पूरी तरह से ईको फ्रेंडली है जो राखी के त्योहार के बाद पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएगी।