लोकसभा अध्यक्ष रहे सोमनाथ चटर्जी ने पार्टी के कहने पर भी नहीं दिया था इस्तीफा

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भारतीय राजनीति के पुरोधा, प्रतिष्ठित अधिवक्ता व भूतपूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी की आज 25 जुलाई को 94वीं जयंती है। चटर्जी वर्ष 1971 से लेकर अंतिम समय तक लोकसभा के उत्कृष्ट सदस्य रहे थे। वह अधिकांश समय तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के साथ जुड़े रहे। उन्हें 14वीं लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। चटर्जी राजनीतिक जीवन में कुल 10 बार लोकसभा सांसद चुने गए। इस खास अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

पूर्व लोकसभा स्पीकर चटर्जी का जीवन परिचय

सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई, 1929 को असम के तेजपुर में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता निर्मल चन्द्र चटर्जी और माता वीणापाणि देवी थे। उनके पिता वकील और राष्ट्रवादी हिन्दू थे। साथ ही उनके पिता हिन्दू महासभा के संस्थापक सदस्य व एक बार अध्यक्ष भी रहे थे। सोमनाथ चटर्जी ने श्रीमती रेणु चटर्जी से शादी की थी व इनके एक बेटा और दो बेटियां हैं।

सीपीआईएम नेता सोमनाथ की शिक्षा मित्र इंस्टीट्यूशन स्कूल, प्रेसीडेंसी कॉलेज और फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय में हुई। बाद में ब्रिटेन में मिडिल टैम्पल से वकालत (Law) की पढाई की थी। इसके बाद वह कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। सोमनाथ एक प्रखर वक्ता के साथ राजनीति में जाने का फैसला किया।

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सोमनाथ चटर्जी का ऐसा रहा राजनीतिक करियर

सोमनाथ ने वर्ष 1968 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (सीपीएम) के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वह वर्ष 2008 तक पार्टी के साथ दृढ़ता के साथ जुड़े रहे। वर्ष 1971 में सोमनाथ पहली बार लोकसभा में सांसद चुने गए। सोमनाथ 10 बार लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए थे। वह पश्चिम बंगाल के वर्धमान, बोलपुर और जादवपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनकर जाते थे। सोमनाथ को वर्ष 1984 में ममता बनर्जी से हार का सामना करना पड़ा था। सोमनाथ चटर्जी अपनी मृदुभाषा, स्पष्टवादिता और विनम्र स्वभाव के लिए सबके आदरणीय थे। इस कारण से उन्हें पूरा सदन एकाग्रचित होकर सुनता था।

एक सांसद के रूप में उन्होंने करीब 35 वर्षों तक देश की सेवा की। वर्ष 1996 में सोमनाथ चटर्जी को उत्कृष्ट ‘सांसद अवॉर्ड’ से नवाजा गया था। सोमनाथ को 4 जून, 2004 को 14वीं लोकसभा के लिए सभी दलों की सहमति से लोकसभा के अध्यक्ष पद पर चुना। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिन्होंने संसदीय प्रणाली की सर्वोच्च संवैधानिक पद लोकसभा अध्यक्ष को सुशोभित किया था व उसकी मर्यादाओं को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सोमनाथ की पहल पर शुरू हुआ अत्याधुनिक संसदीय संग्रहालय

लोकसभा अध्यक्ष के रूप में सोमनाथ चटर्जी ने राज्य सभा के सभापति के साथ विचार-विमर्श करके समिति के दौरों संबंधी नियमों को संशोधित किया था, जिससे अब अंतर्राष्ट्रीय दौरे व संसदीय शिष्टमंडल के विदेशी दौरे संबंधी प्रतिवेदनों को अब सभा पटल पर रखा जाता हैं। सोमनाथ चटर्जी के प्रयासों से 24 जुलाई, 2006 से संसद की कार्यवाही का मीडिया कवरेज प्रदान करने के लिए 24 घंटे का लोकसभा टेलीविजन शुरू किया गया था। यह दुनिया में अपने आप में एकमात्र प्रयास है।

उन्हीं की पहल पर ही भारत की लोकतांत्रिक विरासत पर अत्याधुनिक संसदीय संग्रहालय की स्थापना की गई। जिसका उद्घाटन 14 अगस्त, 2006 को भारत के राष्ट्रपति ने किया था। यह संग्रहालय जनता के दर्शनार्थ और विद्यार्थियों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है।

उनके सामने तब संकट आया जब वर्ष 2008 में भारत और अमेरिका परमाणु समझौता विधेयक का उनकी पार्टी माकपा (सीपीएम) ने विरोध किया और तत्कालीन मनमोहन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। उस समय सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष पद पर थे। उनकी पार्टी ने उन्हें लोकसभा अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने को कहा, लेकिन उन्होंने उसे न मानकर अपना पद नहीं छोड़ा। इस पर सीपीएम ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था।

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष का निधन

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को किडनी की बीमारी थी, जिसका काफी लंबे समय से इलाज कोलकाता के अस्पताल में चल रहा था। यहीं पर 89 वर्ष की अवस्था में 13 अगस्त, 2018 को उनका निधन हो गया।

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