बर्थडे: अगर उस दिन उनके चाचा नहीं होते तो क्रिकेटर नहीं मछुवारे होते सुनील गावस्कर

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क्रिकेट की दुनिया में लिटिल मास्टर के नाम से मशहूर पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर आज 10 जुलाई को अपना 74वां जन्मदिन मना रहे हैं। सुनील मनोहर गावस्कर का जन्म 10 जुलाई, 1949 को महाराष्ट्र के बॉम्बे अब मुंबई में हुआ था। उनके बारे में सबसे ख़ास बात यह है कि गावस्कर ने सर डॉन ब्रैडमैन को पछाड़ते हुए सबसे पहले टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार रनों का जादुई आंकड़ा पार किया था। उन्होंने अपनी बायोग्राफी में खुलासा किया था कि अगर उनके चाचा नहीं होते तो वह क्रिकेटर नहीं मछुवारे होते। आइए पूर्व दिग्गज क्रिकेटर गावस्कर के जन्मदिन के अवसर पर जानते हैं उनके बारे में दिलचस्प किस्से…

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चाचा के कारण गावस्कर की जिंदग़ी बदलते-बदलते बचीं

महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर अपनी बायोग्राफी ‘सनी डेज’ में एक ऐसा खुलासा करते हुए बताया कि कैसे उनकी जिंदगी बदलते-बदलते बच गई। अगर गावस्कर की जिंदग़ी में उनके तेज नजरों वाले चाचा नारायण मासूरकर नहीं होते तो वह आज क्रिकेटर की जगह कहीं मछुआरा बनके मछली मार रहे होते। दरअसल, सुनील गावस्कर के जन्म के बाद उनके रिश्तेदार और परिजन उन्हें देखने अस्पताल पहुंचे थे। गावस्कर के कान के पास छोटा सा छेद था। इसे उनके चाचा नारायण मासूरकर ने देख लिया था।

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जब अगले दिन उनके के चाचा नारायण फिर अपने नन्हे भतीजे से मिलने अस्पताल आए और गावस्कर को गोद में उठाकर खिलाने लगे तो वह अचानक चौंक गए। जैसे ही उनकी नज़र अपने भतीजे यानी गावस्कर के कान पर पड़ी तो उन्होंने देखा कि बच्चे के कान के पास छोटा छेद नहीं था। यानी ये बच्चा वो नहीं था जिसे वह पहले दिन खिला रहे थे। इसके बाद वे तुरंत हरकत में आए और अस्पताल प्रबंधन को इसकी सूचना दी।

प्रबंधन ने पहले तो इसे गलतफ़हमी बताकर इसे बात को नकार ही दिया था, लेकिन जब नारायण ने बताया कि उन्होंने अच्छी तरह बच्चे के कान के पास छेद देखा था तो अस्पताल स्टाफ सुनील गावस्कर को ढूंढने पर राजी हुए। इसके बाद पूरे अस्पताल में नवजात बच्चों की जांच शुरू हुई और फिर देखा गया कि कान पर छेद वाला बच्चा एक मछुआरे की पत्नी के पास लेटा है। इसके बाद उनको अपनी मां के पास लाया गया।

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वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ किया था करियर का आग़ाज़

एकदिवसीय मैचों में धीमी बल्लेबाजी के कारण निशाने पर रहे सुनील गावस्कर ने टीम इंडिया के लिए अपना पहला मैच वेस्टइंडीज के विरूद्ध वर्ष 1971 में खेला था। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के पहल ही मैच में 65 रनों की शानदार पारी खेली थी। गावस्कर को इसलिए भी महान बल्लेबाजों में से एक माना जाता है क्योंकि, उनके समय में जब दुनियाभर के बल्लेबाज वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों से खौफ़ खाते थे और हेलमेट पहन कर के भी उनका अच्छे से सामना नहीं कर पाते थे, तब सुनील गावस्कर बिना हेलमेट के उनका सामना किया करते थे। ख़तरनाक तेज गेंदबाजों के कई ख़िलाफ़ बिना हेलमेट पहने कई शानदार पारियां खेलने वाले गावस्कर का इस कारण दुनियाभर के तेज गेंदबाज सम्मान किया करते थे।

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ऐसा रहा गावस्कर का क्रिकेट करियर

पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर के अंतरराष्ट्रीय करियर की बात करें तो उन्होंने 125 टेस्ट मैचों की 244 पारियां खेलते हुए 10,122 रन बनाए। इस दौरान उनका औसत 51.1 का रहा। उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में 34 शतक और 45 अर्धशतक दर्ज हैं। इसके अलावा गावस्कर ने 108 वनडे मैच की 102 पारियों में 35.1 की औसत से 3,092 रन बनाए। उनके नाम वनडे में 27 अर्धशतक और एक शतक हैं। गावस्कर ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में टेस्ट और एकदिवसीय को मिलाकर 35 शतक लगाए।

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‘पद्म-भूषण’ पुरस्कार से सम्मानित सुनील गावस्कर वर्ष 1983 की विश्व विजेता टीम इंडिया के सदस्य थे। वह क्रिकेट कॉमेंटेटर के साथ ही मराठी फिल्म ‘सावली प्रेमाची’ में बतौर लीड एक्टर और हिंदी फिल्म ‘मालामाल’ में गेस्ट अपीयरेंस रोल कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने एक मराठी गाना भी गाया है।

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