इस वजह से बढ़ सकती है भारत में रिटायरमेंट की उम्र, पढ़ें आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट

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देश में क्या रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाया जाना चाहिए? ऐसे ही कुछ संकेत मिले हैं संसद में, गुरुवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में यह बात कही गई है। इसके पीछे बड़ा कारण बेहतर जीवन स्तर और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के चलते देश के लोगों की जीवन प्रत्याशा में इजाफा को माना जा रहा है और दुनिया भर के कई देश इसका उदाहरण पेश कर चुके हैं। भारत में भी आने वाले दिनों में ये रुझान देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में सरकार को पेंशन का बोझ कम करने के लिए रिटायरमेंट की उम्र में चरणबद्ध ढंग से बढ़ोतरी करने की योजनाएं बनानी होंगी।

जीवन प्रत्याशा में बढ़ोतरी है कारण

आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में महिला और पुरुषों की जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेंटेंसी) में लगातार वृद्धि हो रही है। कई देशों में बढ़ती जीवन प्रत्याशा के कारण वहां पर रिटायरमेंट की उम्र में बढ़ोतरी की गई है। इन अनुभवों के आधार पर भारत में पुरुषों और महिलाओं की रिटायरमेंट उम्र में बढ़ोतरी पर विचार किया जा सकता है। यह पेंशन सिस्टम में व्यावहारिकता बढ़ाने की कुंजी है और यह महिला श्रम बल के पुराने आयु समूह में पेंशन की भागीदारी को बढ़ाएगा।

दुनिया के कई देश हैं इसके उदाहरण

कई देशों में वृद्धों की जनसंख्या में वृद्धि और पेंशन फंडिंग पर बढ़ते दबाव के कारण पेंशन योग्य रिटायरमेंट उम्र को बढ़ाना शुरू कर दिया है। जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों ने रिटायरमेंट उम्र में बढ़ोतरी कर दी है। कुछ देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया और यूके महिलाओं को पुरुषों से जल्दी सेवानिवृत्त कर देते हैं, लेकिन अब दोनों के रिटायरमेंट की उम्र बराबर करने के लिए उन्होंने नियमों में बदलाव किए हैं।

सर्वे में कहा गया है कि कई विकसित देशों, जैसे कनाडा, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका ने प्री-सेट टाइमलाइन के अनुसार रिटायरमेंट उम्र को बढ़ाते रहने के संकेत दिए हैं।

उदाहरण के लिए यू.के. में वर्ष 2020 तक राज्य पेंशन उम्र पुरुषों और महिलाओं के लिए 66 वर्ष कर दी जाएगी। इसके बाद यू.के. सरकार 2026-28 में 67 और 2044-46 में 68 वर्ष करने की योजना बना रही है।

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