बाजार में चावल की अनेक वैरायटी उपलब्ध है, जो महंगी तो है, पर स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम भी होती है। ऐसे ही चावलों में ब्राउन राइस को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि ये चावल शुगर-फ्री हैं और इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी कम पायी जाती है। लेकिन इस दावे के ठीक विपरीत मद्रास डायबिटिक रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ) के एक शोध में इसे गलत ठहराते हुए दावा किया है कि कोई भी चावल शुगर-फ्री नहीं हो सकता।
एमडीआरएफ के इस शोध में साफ कहा गया है कि बाजार में उपलब्ध महंगे ब्राउन राइस वास्तव में पॉलिश किए हुए और सफेद हो सकते हैं। साथ ही कोलेस्ट्रॉल और शुगर रहित होने का दावा कर बेचे जा रहे ये चावल भी आधे उबले हुए होते हैं।
एमडीआरएफ के शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए चेन्नई के कई स्थानों से पन्द्रह तरह के अलग-अलग ब्राउन राइस के नमूने लिए और जांच के दौरान पाया गया कि शुगर और कोलेस्ट्रॉल रहित होने की बात कह कर बेचे जा रहे ब्राउन राइस आधे उबले हुए थे। यही नहीं इन चावलों को पकाते समय अधिक मात्रा में पानी सोखते हैं, जिससे इनमें स्टार्च की मात्रा भी बढ़ जाती है। चावल में स्टार्च के बढ़ने से ग्लिसेमिक इंडेक्स में भी बढ़ोतरी होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार कम ग्लिसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ शरीर के लिए लाभदायक होते हैं।
ग्लिसेमिक इंडेक्स के माध्यम से ही पता चल पाता है कि चावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कितनी है। यदि चावल कॉर्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में है तो इससे खाने वाले व्यक्ति के खून में ग्लूकोज की मात्रा प्रभावित होगी। शोधकर्ताओं के अनुसार चावल में मौजूद स्टार्च पाचन के समय ग्लूकोज में बदल जाता है। इसलिए, कोई भी चावल शुगर-फ्री नहीं हो सकता। कम पॉलिश वाले चावल में कार्बोहाइड्रेट ज्यादा होता है।
क्या है ग्लिसेमिक इंडेक्स
ग्लिसेमिक इंडेक्स (GI) किसी खाद्य पदार्थ में मौजूद कार्बोहाइड्रेट का स्तर बताता है। कार्बोहाइड्रेट से रक्त में ग्लूकोज का स्तर प्रभावित होता है। जो कार्बोहाइड्रेट पाचन के दौरान तेजी से टूटते हैं और रक्त धारा में ग्लुकोज को तेजी से छोड़ते हैं, उनमें उच्च जीआई होता है, जो कार्बोहाइड्रेट रक्त धारा में धीरे-धीरे ग्लुकोज छोड़ते हुए बहुत धीरे-धीरे टूटते हैं उनमें निम्न जीआई होता है। कम जीआई वाले खाद्य पदार्थ सेहत के लिए अच्छे माने जाते हैं। 55 से नीचे जीआई को कम माना जाता है।