एक गरीब परिवार में पैदा हुआ छात्र जो कुछ साल पहले तक जेईई-मेन परीक्षा के बारे में तक नहीं जानता था, आज वह राजस्थान के अपने आदिवासी गांव का पहला ऐसा छात्र बन गया है जिसने यह परीक्षा पास की है। झालावाड़ के मोगायबीन भीलन गांव के रहने वाले 18 वर्षीय इस लड़के के लिए सफलता की यह राह ज़रा भी आसान नहीं रही। उसे कड़ी मेहनत करने के साथ कई दूसरी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। इस लड़के के माता-पिता मनरेगा में मजदूरी करते हैं। यहां तक कि वे यह भी नहीं जानते कि इंजीनियर होता कौन है?
माता-पिता दोनों अनपढ़, बेटे की सफलता पर कर रहे हैं गर्व
जेईई-मेन पास करने वाले मजदूर के बेटे लेखराज भील की सफलता से खुश उसके पिता मंगीलाल ने कहा कि ‘मैं तो यह जानता भी नहीं था कि इंजीनियर क्या होता है। मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि मेरा बेटा कभी स्नातक की पढ़ाई भी करेगा। अब मैं बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि वह हमारे भील समुदाय और इस गांव में पहला इंजीनियर बनने जा रहा है।’
लेखराज के पिता मंगीलाल भील और उसकी मां सरदारी बाई, जो कि दोनों खुद अनपढ़ हैं, ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि उनका बेटा परिवार की आर्थिक रूप से कमजोर स्थिति को बेहतर करेगा और उन्हें मजदूरी भी नहीं करनी पड़ेगी। सफलता से गदगद लेखराज भील ने भी इस मौके पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, उन्होंने (माता-पिता) परिवार को पालने के लिए कड़ी मेहनत की है। मैं अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करके उनकी सेवा करना चाहता हूं।
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10वीं बोर्ड में जिला टॉप करने पर पूर्व सीएम राजे ने दिया था लैपटॉप
लेखराज के शिक्षक जसराज सिंह गुर्जर ने उसकी सफलता पर कहा कि वह पढ़ाई में काफी अच्छा है। उसने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 93.83 प्रतिशत अंक लाकर झालावाड़ जिले में टॉप किया था। तब राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस उपलब्धि के लिए उसे एक लैपटॉप देकर सम्मानित किया था। वहीं, लेखराज भील ने कहा कि वह अब अपने गांव के बच्चों के बीच जाकर पढ़ाई के महत्त्व समझाएंगे और जागरुकता फैलाने का काम करेंगे।बता दें कि लेखराज के गांव के ज्यादातर लोग निरक्षर हैं और मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं।