जिंदा बचने के लिए खाने पड़ रहे हैं चींटी के अंडे, पद्मश्री पाने वाले इस किसान की हालत रूला देगी !

Views : 4036  |  0 minutes read

ओडिशा के क्योंझर जिले में तलाबैतरनी गांव में दाइतारी नायक रहते हैं, पेशे से किसान हैं, जिनकी कहानी कुछ ऐसी है कि कुछ लोग जैसे सरकारी योजनाओं के ना मिलने पर परेशान होते हैं, नायक ठीक उसके उलट सरकारी प्रोत्साहन मिलने के बाद बैचेन हैं।

हुआ यूं कि 75 साल के नायक ने सिर्फ एक कुदाल और बरमा लेकर पहाड़ में 3 किलोमीटर लंबी नहर अकेले खोद दी, इस काम में उन्होंने अपनी जिंदगी के 3 साल लगा दिए। जैसे जीतन राम मांझी ने गांव वालों के लिए हॉस्पिटल का शॉर्टकट रास्ता निकाला था वैसे ही नायक की खोदी नहर से गांव के 100 एकड़ खेतों में सिंचाई का पानी आया।

हर तरफ वाह-वाही हुई, सरकार ने भी सोचा इसके लिए नायक को सम्मानित किया जाए तो 2019 में भारत सरकार के चौथे सबसे बड़े पुरस्कार पद्म श्री से उन्हें नवाजा। यहां तक तो सब कुछ एकदम सॉफ्ट है, लेकिन….

नायक की वर्तमान स्थिति देखकर आप कहेंगे कि इससे अच्छा पद्म श्री किसी को मिले ही ना। नायक को जब सम्मान मिला तब उसे उम्मीद जगी कि अब जिंदगी में कुछ दिन सुकून के नसीब होंगे लेकिन सिस्टम ने उसे फिर उसी कशमकश में जा फेंका।

नायक ने एक मीडिया रिपोर्ट में बताया कि “पद्म श्री मिलने के बाद मुझे किसी तरह की मदद नहीं मिली। पहले मुझे मजदूरी करके कुछ कमा लेता था लेकिन अब लोग मुझे कोई काम भी नहीं देते क्योंकि उन्हें लगता है मुझे सरकार ने इस पुरस्कार से सम्मानित किया है तो यह उसका अपमान होगा”।

अपनी हालत पर आगे बोलते हुए नायक बताते हैं कि “मैं और मेरा परिवार अब चींटी के अंडे खाकर जैसे-तैसे बचे हुए हैं। घर चलाने के लिए मैं तेंदू के पत्ते और आम पापड़ बेचता हूं। मेरे लिए ऐसा पुरस्कार किस काम का, इसलिए मैं पुरस्कार वापस करना चाहता हूं ताकि मुझे कुछ काम मिल सके”। हालांकि बाद में एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में नायक के चींटी के अंडे खाने के दावों को नकार दिया गया है।

सरकारी योजनाओं के बारे में बताते हुए नायक कहते हैं कि सालों पहले इंदिरा आवास योजना में नाम लिखवाया था, मगर आज तक घर नहीं मिला। नायक ने अपना पद्म श्री मेडल बकरी बांधने की जगह बांध दिया है।

नायक के बेटे आलेख ने बताया कि मेरे पिता को मेडल देते समय सरकार ने कई वादे किए लेकिन आज भी हम वैसी ही हालत में है। मेरे पिता ने जो कच्ची नहर बनाई थी उसको अब तक पक्की सड़क भी नहीं मिली है।

अब आप सोचिए जो काम सरकार को करना चाहिए वो काम अगर नायक ने खुद कर दिया, सैकड़ों लोगों को उसकी मेहनत से पानी नसीब हुआ उसके बाद भी उसकी जिंदगी में कोई बदलाव ना आएं तो यह तो सच में सिस्टम के खोखलेपन को दिखाता है।

COMMENT