भारत में प्रति वर्ष कई लोग फूड पॉइजनिंग यानि विषाक्त भोजन से बीमार पड़ जाते हैं या फिर उनकी मौत हो जाती है। लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया ऐसा देश है जहां पर हर वर्ष करीब 15.73 लाख लोगों की मौत विषाक्त भोजन के कारण हो जाती है। इस रिपोर्ट में भारत दुनिया का दूसरा देश है जहां लोग खराब खाने के कारण मौत के शिकार हो जाते हैं। वहीं चीन मामले में पहले नंबर पर है और यहां 31.28 लाख लोग विषाक्त भोजन के कारण अकाल मौत के शिकार होते हैं।
वर्ष 2008 से 2017 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इंटीग्रेटेड डीजीज सर्विलांस प्रोग्राम(आईडीएसपी) के अुनसार विषाक्त भोजन बहुत तेजी से फैल रहा है। वर्ष 2008 से 2017 के बीच करीब 2867 मामले विषाक्त भोजन के आए थे, जो डायरिया के 4361 मामलों से अलग थे।
आईडीएसपी के मुताबिक इस वर्ष 6 से 12 मई के बीच विषाक्त भोजन के करीब 14 मामले सामने आए हैं। गत वर्ष जारी विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भोजन के कारण होने वाली बीमारियों के कारण से भारत पर प्रति वर्ष करीब 1,78,000 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ता है। यह भारत के जीडीपी का करीब 0.5 प्रतिशत है। पिछले 10 सालों में फूड पॉइजनिंग के मामले लगातार बढ़ें हैं जिसे देखकर राष्ट्रीय स्वास्थ नीति बनाई गई।
2008 से 2017 के बीच फूड पॉयजनिंग के लगभग 2867 मामले सामने आए हैं:
2008 में 50
2009 में 120
2010 में 184
2011 में 305
2012 में 255
2013 में 370
2014 में 306
2015 में 328
2016 में 395
2017 में 242
वर्ष 2008 से 2017 के बीच मंदिरों में प्रसाद, शादी समारोह, हॉस्टल और कैंटीन में बनाए जानें वाले भोजन में सबसे अधिक फूड पॉइजनिंग के मामले आए हैं। देश के स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने लोकसभा में 4 जनवरी 2019 में बताया कि पिछले तीन साल में खाने में लगभग 20 प्रतिशत मिलावट वाले नमूने मिले।
2016 से 2017 के बीच 78,340 सैंपल्स लिए गए। इनमें से 23 प्रतिशत नमूने मिलावटी थे।
2017 से 2018 के बीच 99,353 सैंपल्स लिए गए। इनमें से 24 प्रतिशत नमूने मिलावटी थे।
खाने में सबसे अधिक मिलावट इन पांच राज्यों में पाई गई है:
मणिपुरः 830 सैंपल में से 295 (36%) मिलावटी
उत्तर प्रदेशः 19063 सैंपल में से 8375 (44%) मिलावटी
झारखंडः 580 सैंपल में से 219 (38%) मिलावटी
मिजोरमः 84 सैंपल में से 52 (62%) मिलावटी
राजस्थानः 3549 सैंपल में से 1598 (45%) मिलावटी