भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक ओर कामयाबी 22 मई को तब दर्ज की, जब उसने हर मौसम में काम करने वाले राडार इमेजिंग निगरानी उपग्रह ‘आरआईसैट-2बी’ (RISAT-2B) को सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित किया।
इसरो द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पीएसएलवी-सी46 रॉकेट के 48वें अभियान के माध्यम से सुबह साढ़े पांच बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 615 किलोग्राम वजनी ‘आरआईसैट-2बी’ का सफल प्रक्षेपण किया गया। इसे प्रक्षेपण के करीब 15 मिनट बाद पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया।
यहीं नहीं भारत इससे पहले भी इस तरह के दो उपग्रह प्रक्षेपित कर चुका है। जिनके नाम ‘आरआईसैट-1’ (RISAT-1) और ‘आरआईसैट-2′ (RISAT-2) थे। आरआईसैट-1 ने 2017 से काम करना बंद कर दिया था, जिसके कारण उसे मृत घोषित कर दिया गया था। यही कारण रहा कि इससे बालाकोट स्ट्राइक के प्रभाव को रिकॉर्ड नहीं किया जा सका। इसरो के सूत्रों ने बताया, आरआईसैट-2बी को पंद्रह महीने पहले ही रिलीज किया गया था। इसकी जिंदगी केवल पांच साल है। अगर सब कुछ सही रहा तो इसके दो हमशक्ल आरआईसैट- बीआर 1 और आरआईसैट- 2बीआर2 आने वाले महीनों में प्रक्षेपित किए जाएंगे।’
Indian Space Research Organisation (ISRO) launches PSLVC46 from Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota. PSLVC46 will launch the RISAT-2B radar earth observation satellite into a 555 km-altitude orbit. pic.twitter.com/iY2paDVjls
— ANI (@ANI) May 22, 2019
इसरो प्रमुख डॉ. के. सिवान ने उपग्रह के सफल प्रक्षेपण पर खुशी जताते हुए कहा, ‘मुझे यह जानकारी देते हुए बेहद खुशी है कि पीएसएलवी46 का प्रक्षेपण सफल रहा। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।’ उन्होंने इस मिशन में लगे सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी।
डॉ. के. सिवान के अनुसार आरआईसैट-2बी के बाद इसरो चंद्रयान-2 पर काम करेगा, जिसके प्रक्षेपण का कार्यक्रम 9 से 16 जुलाई के बीच है। इसरो छह सितंबर तक चंद्रयान-2 के रोवर को (चंद्रमा की सतह पर) उतारने को लेकर आशान्वित है।
आरआईसैट-2बी में है ये खूबियां
इस उपग्रह के माध्यम से भारतीय सेना को पूर्वी और पश्चिमी बॉर्डर पर निगरानी करने के लिए होने वाली गतिविधियों को ट्रैक करने की नई क्षमता मिलेगी। इस उपग्रह को अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में बनाया गया है, जो स्पेशल एक्स बैंड राडार की क्षमता रखता है। इस कारण इससे बेहतर तस्वीर प्राप्त की जाती है। यह पहली बार है, जब भारत ने अंतरिक्ष में इस तरह से स्वदेशी तकनीक प्रयोग की है।
इस उपग्रह के प्रक्षेपण से भारत में खुफिया निगरानी तंत्र, कृषि, वन और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में मदद मिलेगी।