पुलवामा: कश्मीर की इस सीट ने चुनाव को जैसे नकार ही दिया है!

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भारत फिलहाल पूरी तरह से चुनावी माहौल में रमा हुआ है। मतदान 11 अप्रैल को शुरू हुआ था और अंतिम मतदान 19 मई को होगा। पांचवे चरण की वोटिंग 6 मई को हो चुकी है और कश्मीर से एक तस्वीर सामने आई है।

भारतीय प्रशासित कश्मीर में अनंतनाग निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव हुआ जहां पांचवें चरण में बेहद कम 8.7% मतदान रिकॉर्ड किया गया। आपको बता दें कि अनंतनाग वही क्षेत्र है जहां पर फरवरी में पुलवामा का आत्मघाती हमला हुआ था। जिसमें 40 CRPF जवानों की जान चली गई।

गंभीरता इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि 2014 में, 29% पंजीकृत मतदाताओं ने अनंतनाग में अपना मतदान किया था जिसमें पुलवामा शहर भी शामिल है जहां हमला हुआ था।

पांचवें चरण में भारतीय प्रशासित कश्मीर की सभी छह सीटों के लिए चुनाव संपन्न हुए, जिसमें कुल 44% मतदान हुआ।

यह महत्वपूर्ण क्यों है?

मतदाता मतदान निर्वाचन क्षेत्र में आख्यानों की लड़ाई को दर्शाता है। कई अलगाववादी नेताओं ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया था जबकि राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग ने लोगों से बड़ी संख्या में मतदान करने की अपील की थी। अनंतनाग देश का एकमात्र निर्वाचन क्षेत्र है, जहां सुरक्षा चिंताओं के कारण तीन चरणों में मतदान हुआ था।

वहां के पत्रकारों का कहन है कि पुलवामा हमले और पाकिस्तान के साथ तनाव चुनावों पर हावी रहा है। कश्मीर में केवल छह सीटें हैं, इसलिए यह अन्य बड़े राज्यों की तरह चुनावी रूप से महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन इसके बावजूद यह क्षेत्र चुनावी बयानबाजी के केंद्र में था।

फरवरी में पुलवामा में आत्मघाती हमला, एक पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह द्वारा जिसकी जिम्मेदारी ली गई थी जिसके बाद भारत और पाकिस्तान युद्ध के कगार पर आ गया था।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने चुनावी अभियान के दौरान लगातार पुलवामा हमले को उठाया है।

भाजपा ने अक्सर कहा है कि मोदी की सरकार ने पाकिस्तानी क्षेत्र के अंदर भारतीय जेट विमानों को भेजकर हमले का “बदला” लेने के लिए एक निर्णायक कार्रवाई की।

विश्लेषकों का कहना है कि मोदी और उनकी पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा चुनाव का मुख्य मुद्दा बनाकर वोटों के वक्त फायदा हासिल कर सकती है। लेकिन इसका असर कश्मीर में अलग तरह से पड़ना तय ही था। वहां के लोगों में भय का माहौल रहा जिसकी वजह से वोट इतनी कम मात्रा में हुए।

वहां के पत्रकारों ने कहा कि अलगाववादियों द्वारा चुनावों का बहिष्कार आम था लेकिन स्थानीय लोग उसके बाद भी वोट देने के लिए लाइन में खड़े होकर इंतजार किया करते थे। कश्मीर के लोगों में असंतोष की भावना काफी ज्यादा है जिसकी ही वजह से लोग वोट करने नहीं निकले।

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