वायु प्रदूषण से भारत में जन्मे बच्चों के जीवन काल में आयी ढाई साल की कमी, पढ़े यह रिपोर्ट

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बढ़ती भौतिक सुख सुविधा, बढ़ता प्रदूषण यही कहता है कि हम भविष्य को लेकर कतई चिंतित नहीं है। हां, अगर होते तो निश्चित ही घटते प्रकृति के कुनबे और मानव स्वास्थ्य को पहले रखते और इन भौतिक सुख सुविधाओं का उपयोग मितव्ययी बनकर करते तो शायद आज ये नौबत न आती। पर भौतिक विकास की दौड़ अंधी है कि रूक ही नहीं रही और ऐसे में अक्सर यही सुना जाता है एक मेरे सोचने से क्या होता है, एक मेरे त्याग करने से क्या होता है?

यह सत्य हो सकता है, पर प्रकृति तो अकेले ही मानव के उपभोग के लिए अपना सर्वस्व देकर, उसे फलता—फूलता देखना चाहती है पर मानव है कि अपनी ही धुन में विकास करने की राह पर चल पड़ा है। इस अंधी दौड़ को बयां करती है यह रिपोर्ट। जिसमें बताया गया है कि बढ़ता वायु प्रदूषण न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के सभी देशों के लिए बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है।

25 लाख मौतें तो केवल भारत और चीन में

इस रिपोर्ट के मुताबिक एशिया के दो बड़े देश भारत और चीन वायु प्रदूषण करने में अव्वल हैं। वर्ष 2017 में मानव विकास में सहायक वाहनों और अन्य संसाधनों से निकलने वाली जहरीली हवा से दुनियाभर के 50 लाख लोगों को अकाल मौत का सामना करना पड़ता है। जिसमें से 25 लाख मौतें तो केवल भारत और चीन में होती हैं।

रिपोर्ट यही कहती है कि इन दोनों देशों ने जितनी तेजी से विकास किया है उतनी ही तेजी से यहां के पर्यावरण में जहरीली हवा ने विकराल रूप धारण कर दुनियाभर में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में 50 फीसदी इन्हीं दो देशों में हुई हैं। यह रिपोर्ट अमेरिका स्थित दो इंस्टीट्यूट ने तैयार की है।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इन एशियाई देशों में वर्ष 2017 में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में प्रत्येक देश में 12 लाख लोगों की मौतें हुई हैं। इस प्रदूषण में घरों में मौजूद वायु प्रदूषण भी शामिल है।

‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019’ नामक शीर्षक से प्रकाशित इस शोध रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण आज के समय में दक्षिण एशियाई देशों में जन्म लेने वाले बच्चों के जीवनकाल में ढाई वर्षों की कमी दर्ज की गई है।

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इस शोध के मुताबिक हर वर्ष वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का ग्राप बढ़ता जा रहा है। पूर्व में वर्ष 2015 में यह आंकड़ा 11 लाख था, जो अब एक लाख अधिक हो गया है। भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, फरीदाबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में हालात और भी अधिक खराब हैं।

यदि हम भारत के संदर्भ में इस रिपोर्ट को देखें तो वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें मौजूद स्वास्थ्य के खतरों में तीसरा सबसे बड़ा कारण है। भारत में जितनी मौत कुपोषण, शराब और शारीरिक निष्क्रियता से होती हैं, उससे कहीं अधिक वायु प्रदूषण से होती हैं। प्रदूषण संक्रामक रोगों के साथ-साथ अन्य रोगों के लिए भी जिम्मेदार है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन की सरकारों द्वारा किए गये सुधारात्मक कार्यों का भी इसमें जिक्र किया गया है। दोनों देशों ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जिससे वायु प्रदूषण पर काबू पाने की कोशिश जारी है।
जैसे — उज्ज्वला योजना से महिलाओं को चूल्हे से होने वाले प्रदूषण से बचाया गया है।

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