बुरा न मानो होली है…पर जरा संभल के रंगों का प्रयोग करें

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holi hai

रंग-बिरंगा त्योहार है होली और सब खूब खेलते हैं रंगों की होली। पर चर्चा हर बार वही की रंगों की जगह गुलाल से होली खेलना ज्यादा सही है क्योंकि इसमें खतरनाक कैमिकल कम होते हैं या बिलकुल नहीं, साथ ही इसे धोने के लिए कम पानी की जरूरत होती है। यानि शरीर को कम नुकसान और पानी की भी बचत। पर जब होली खेलते हैं तब हम सारे नियम ताक पर रख देते हैं और कैमिकल वाले रंगों का खूब प्रयोग करते हैं जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं।

तो आइए जानते हैं ये किस प्रकार हमारे शरीर के लिए हानिकारक है और यदि गलती से इस्तेमाल कर लें तो क्या उपाय करें।

इन कैमिकल्स से बने होते हैं रंग

होली रंगों और आपसी भाईचारे का त्योहार है। इस त्योहार में प्रयुक्त होने वाले रंगों में कैमिकल युक्त रंगों की भरमार है। आपके द्वारा प्रयोग में लिए जाने वाले सभी प्रकार के अच्छे और खराब रंग हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

सिंथेटिक रंगों को बनाने में कई हानिकारक धातुओं का प्रयोग किया जाता है जैसे, लेड, क्रोमियम, कैडमियम, निकिल, मर्करी (पारा), जिंक और लोहा।

कई शोधों से पता चला है कि लाल रंग को बनाने के लिए अधिक मात्रा में मर्करी मिलाया जाता है, जो हमारे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है।


नीले रंग के लिए तांबा का प्रयोग किया जाता है, जो आंख, त्वचा, लीवर और श्वसन प्रणाली के लिए नुकसानदायक होता है। इन धातुओं के अलावा रंगों में सिलिका और एसबेस्टस भी मिला होता है, जो शरीर के ऊतकों को प्रभावित करते हैं।

यदि रंग आंखों के अंदर चला जाए तो उनमें जलन होती है। कैमिकल युक्त रंग आंखों के अंदर जाने से रोशनी भी जाने का खतरा रहता है।

ये रंग त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। रंग लगने के बाद खुजली पड़ना, दाग पड़ जाना और सूजन पड़ जाना जैसी समस्याएं सामने आती हैं। वहीं, स्किन कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है।

कई मानते हैं कि सूखे रंग से होली खेलनी चाहिए यह सुरक्षित होती है परंतु ऐसा नहीं है। सूखा रंग हवा में मिल जाता है जो श्वास लेने पर नाक और मुंह के जरिए शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं। जिससे दमा और सांस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

बाजार में बिक रहे कैमिकल से बने रंग बालों को प्रभावित करते हैं। बालों में रंग लगने के बाद बाल झड़ने, डैंड्रफ जैसी कई समस्याएं होती है।

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होली खेलते समय कई सावधानियां अपनानी चाहिए ताकि हम रंगों से होने वाले नुकसान से शरीर के अंगों को होने वाले खतरे से बचा सकते हैं। जैसे –

रंगों में कई कैमिकल मिले होते हैं, जो बालों को नुकसान पहुंचाता है। होली खेलने से पहले बालों पर नारियल या सरसों का तेल लगा लें।

अगर आप होली खेलने से पहले ही शरीर पर तेल लगा लेंगे तो ये रंग अधिक समय तक शरीर पर रूक नहीं पाएंगे और नहाने के साथ ही शीघ्र हट जाएंगे।

कान, नाक, आंख के नजदीक वैसलीन लगा लें। इससे ये रंग त्वचा के अंदर नहीं जा पाएंगे।
होली में लगे रंग को उतारने के लिए लोग अक्सर गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैं, जबकि इससे तो रंग और ज्यादा पक्का हो जाता है।

गर्म पानी से त्चचा भी सूखी हो जाती है। इसलिए हमेशा रंग छुड़ाने के लिए सादा पानी का इस्तेमाल करें।

यदि त्वचा से रंग हट नहीं रहा और जलन भी हो रही है तो साबुन का इस्तेमाल ना करें बल्कि उसे हटाने के लिए आटे का प्रयोग से रंग को साफ करें और इसके बाद पानी से धोकर त्वचा पर मॉश्चराइजर लगाएं। इससे आपकी त्वचा मुलायम होगी और कोई जलन भी नहीं होगी।

रंग छुडाने के लिए कभी भी केरोसीन ऑयल, पेट्रोल आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये शरीर को हानि पहुंचाते हैं।

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