वर्ल्ड किडनी डे: इस तरह से बचा सकते हैं आप किडनी को फेल होने से, जानिए

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world kidney day

12 मार्च को विश्व किडनी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। वैसे तो विश्व गुर्दा दिवस को हर साल मार्च माह के दूसरे गुरुवार (बृहस्पतिवार) को मनाया जाता है। इस दिवस को 2006 से मनाया जा रहा है। इस वर्ष विश्व किडनी दिवस की थीम “Kidney Health for Everyone Everywhere” रखी गई है।

इस दिन दुनियाभर में किडनी में होने वाले रोग और उससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभाव की ओर लोगों में जागरूकता को बढ़ाना है। दुनिया में हर दस व्यक्तियों में से एक व्यक्ति किडनी रोग से पीड़ित है। इस दिवस का आयोजन ‘अंतर्राष्ट्रीय सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी’ (आईएसएन) और ‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ किडनी फाउंडेशन’ की संयुक्त पहल पर किया जाता है।

देश में औसतन 14 प्रतिशत महिलाएं और 12 प्रतिशत पुरुष किडनी की समस्या से ग्रसित हैं और पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 19.5 करोड़ महिलाएं किडनी की समस्या से पीड़ित है। भारत में हर साल 2 लाख लोग इस रोग के कारण मौत का शिकार बन जाते हैं।

हमारे शरीर का छोटा मगर बहुत महत्त्वपूर्ण अंग है किडनी (वृक्क)। हमारे शरीर में दो किडनी होती है। ये शरीर का रक्त शुद्ध करके यूरिन बनाती है यानि शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करती है।

अगर किडनी में किसी तरह की गड़बड़ी हो जाए तो हानिकारक पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते और इसका सीधा असर हमारे लिवर और दिल पर पड़ता है। आज के समय में लोगों में क्रॉनिक किडनी डिजीज यानी गुर्दे खराब होने की समस्या तेजी से बढ़ रही है।

क्रोनिक किडनी डिजीज

यह किडनी की सामान्य बीमारी है। किडनी खराब हो या तीन माह या इससे अधिक समय से काम नहीं कर रही है और यदि समय रहते इसका उचित इलाज न मिले तो क्रोनिक किडनी की समस्या बढ़ती जाती है। किडनी की यह समस्या के अंतिम चरण में गुर्दे केवल पंद्रह प्रतिशत ही कार्य कर पाते हैं।

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आज हम आपको इसके लक्षण बताएंगे, जिससे आप समय रहते इस बीमारी की पहचान कर सकते हैं और इलाज करवा सकते हैं।

क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण

इस रोग के होने पर किडनी बहुत कम मात्रा में रक्त को शुद्ध कर पाती है जिससे शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे हाथों और पैरों में सूजन आने लगती है।

  • यूरिन का रंग गाढ़ा होना या रंग में बदलाव भी इस रोग की ओर इशारा करता है।
  • पेट के बांयीं या दांयीं ओर असहनीय दर्द होना।
  • अगर पेशाब आने की मात्रा बढ़ती या कम होती है।
  • बार-बार पेशाब आने का एहसास होना, पर जाने पेशाब का न आना
  • पेशाब में खून आए तो तुरंत किसी यूरोलॉजिस्ट को दिखाना एवं परामर्श ले।
  • कमजोरी, जी मिचलाना और उल्टी महसूस करना

बचाव

  • अपने रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रित रखें।
  • अपने रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) की नियमित जांच करवाएं।
  • वजन पर नियंत्रण रखें।
  • धूम्रपान न करें।
  • तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें। रोजाना दो से चार लीटर तक पानी पीएं।
  • प्रोटीन युक्त पदार्थ कम लें।
  • नमक का सेवन कम करें।
  • दर्द निवारक दवाओं का प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर करें।
  • सुबह जल्दी उठकर घूमें, साइकिल चलाएं और व्यायाम करें।

किडनी के खराब होने के बाद दुनियाभर में महिलाओं की मौत का आठवां बड़ा कारण माना है। किडनी से संबंधित समस्याओं पर काबू पाने के लिए नियमित जांच कराने से रोग के शुरुआत दौर में पता चलने पर दवा से इसे ठीक करना संभव हो सकता है।

आयुर्वेद में पुनर्नवा पौधे के गुणों का अध्ययन कर भारतीय वैज्ञानिकों ने इससे ‘नीरी केएफटी’ दवा बनाई गई है, जिसके जरिए गुर्दा (किडनी) की बीमारी ठीक की जा सकती है। गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाएं फिर से स्वस्थ्य हो सकती हैं। साथ ही संक्रमण की आशंका भी इस दवा से कई गुना कम हो जाती है।

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