क्या है GSP कार्यक्रम जिससे बाहर कर ट्रंप ने भारत को सबसे बड़ा आर्थिक झटका दिया है !

Views : 4586  |  0 minutes read

पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद जहां अमेरिका भारत के साथ खड़ा दिखाई दिया, वहीं आर्थिक मोर्चे पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को एक बड़ा आर्थिक झटका देने की तैयारी कर ली है। माना जा रहा है कि 2017 में ट्रंप के पद संभालने के बाद अमेरिका की यह भारत के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

ट्रंप ने व्यापारिक क्षेत्र में भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (GSP) कार्यक्रम से बाहर करने का फैसला लिया है जिसके बाद विश्व के बाजार में हलचल तेज हो गई है। इस फैसले के बाद भारत अमेरिका को जो सामान निर्यात करता है उन पर टैक्स लगेगा, फिलहाल अमेरिकी बाजार में भारत 5.6 बिलियन डॉलर तक के उत्पादों को भेजता है जिन पर ड्यूटी यानि एंट्री फीस लगती है।

क्यों लिया ट्रंप ने यह फैसला ?

हाल ही में ट्रंप ने भारत को सबसे ऊंची दर से शुल्क लगाने वाला देश बताते हुए भारत और तुर्की को इस जनरलाइज सिस्टम आफ प्रेफरेंस कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी बताया था।

इस कदम उठाने के पीछे यह माना जा रहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत सरकार के व्यापारिक तौर पर संबंध तो काफी अच्छे हैं लेकिन भारत ने अमेरिका को अभी तक कोई आश्वासन नहीं दिया कि वह भारत के बाजारों में उनके सामानों की उचित पहुंच प्रदान करेगा। भारत में आयात-निर्यात को लेकर कई तरह की पाबंदियां हैं जिससे अमेरिका को काफी नुकसान हो रहा है।

ये जीएसपी कार्यक्रम है क्या ?

अमेरिका ने जीएसपी कार्यक्रम में कुछ देशों को शामिल किया था जिनको अमेरिका में उनके उत्पाद निर्यात करने पर टैक्स में छूट मिलती है। इसके पीछे अमेरिका का उद्देश्य उन देशों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना था।

भारत पर इसका क्या असर होगा?

भारत अमेरिका के बाजार में जीएसपी कार्यक्रम के तहत करीब 5.6 अरब डॉलर (40 हजार करोड़ रुपये) का सामान निर्यात करता है जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता है लेकिन अब इस कार्यक्रम से बाहर होने के बाद यह सुविधा नहीं रहेगी।

भारत ने इस पर क्या कहा ?

ट्रंप के इस फैसले के बाद भारत का भी बयान आया है। भारत का कहना है कि जीएसपी के लाभार्थी नहीं होने पर भारत को कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। भारत जीएसपी के तहत सिर्फ कच्चे माल और ऐसे सामान को भेजता है जो अमेरिका के लिए जरूरी है, लेकिन फिर भी हम अमेरिका से इस मामले में आगे बातचीत कर रहे हैं।

COMMENT