कुंभ सदियों से भारत के लोगों की आस्था को जीवंत बनाए हुए है। दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेले कुंभ का आयोजन इस बार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 14 जनवरी से शुरू हुआ और इसका आखिरी शाही स्नान महाशिवरात्रि (4 मार्च 2019) को हुआ। इसके बाद औपचारिक तौर पर यह मेला धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा।
वैसे तो कुंभ अपने आप में एक अनूठा आयोजन है। इस बार कुंभ मेले के आयोजन के दौरान गिनीज बुक में 3 रिकॉर्ड दर्ज हुए हैं।
इस मेले में करीब 10 लाख से भी ज्यादा विदेशी पर्यटक शामिल हुए और कुल लगभग 2 करोड़ लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी। उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार कुंभ 2019 को अब तक का सबसे दिव्य और भव्य कुंभ बता रही है।
प्रयागराज कुंभ की थीम-
उत्तर प्रदेश में भरे इस कुंभ की थीम ‘स्वच्छ कुंभ और सुरक्षित कुंभ’ है।
वे रिकॉर्ड जो प्रयागराज कुंभ में बने
वैसे तो कुंभ अपने आप में एक रिकॉर्ड है फिर भी इस बार प्रयागराज के आयोजन ने दुनिया के कई रिकॉर्डों को ध्वस्त करते हुए, अपने नाम दर्ज किया है जिनमें हैं —
‘पेंट माई वाल’ पेंटिंग का बनाया विश्व रिकॉर्ड
कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 1 में 1 फरवरी को हजारों की संख्या में 8 घंटे तक लगातार छात्र-छात्राएं और आम नागरिकों ने ‘पेंट माई वाल’ के तहत अपने हाथों के रंग-बिरंगे छाप से ‘जय गंगे’ थीम की पेंटिंग बनाई।
Another record achieved by Kumbh 2019.The Guinness World Record for "Most contribution to a Handprint Painting in 8 hours", in which 7664 people participated, broke the former record held by Seoul of 4675 people. #Kumbh2019 pic.twitter.com/PjUo9Iv7Te
— Kumbh (@PrayagrajKumbh) March 2, 2019
इस दौरान गिनीज विश्व बुक रिकॉर्ड के निर्णायक मंडल के प्रमुख ऋषिनाथ की टीम ने पूरे कार्यक्रम की मॉनिटरिंग में लगे रहे। मेला प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इसके पहले सियोल (साउथ कोरिया) में 4675 लोगों के एक वाल पर पेंटिंग करने का रिकॉर्ड था।
अबु धाबी की 390 बसों की परेड का रिकॉर्ड तोड़ा
इस बार के कुंभ मेले में यात्रियों की सुविधा के लिए निःशुल्क बस सेवा के लिए लगाई गईं 500 से अधिक शटल बसों ने 28 फरवरी को एक साथ परेड कर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
पूर्व में यह रिकॉर्ड अबु धाबी के नाम था, जो दिसंबर, 2010 में 390 बसों ने परेड कर रिकॉर्ड बनाया था।
Kumbh 2019 now holds a Guinness World Record. By organising the historic parade of 510 Shuttle Buses in #Kumbh2019, Prayagraj Mela Authority achieved the record of largest parade of buses. pic.twitter.com/TVMvdsS3H8
— Kumbh (@PrayagrajKumbh) February 28, 2019
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिनिर्णायक (एडजुटीकेटर) ऋषि नाथ ने यहां मेला क्षेत्र स्थित आईसीसीसी सभागार में बताया कि परेड के लिए 510 बसें लगाई गई थीं जिसमें सात बसें मानक के अनुरूप नहीं चल सकीं, 503 बसें मानक के अनुरूप चलीं। इन शटल बसों ने कुल 12 किमी की दूरी तय की।
एक साथ 10,000 सफाईकर्मियों ने सफाई कर बनाया विश्व रिकॉर्ड
#Kumbh2019 has made a Hattrick under the Guinness World Records, a new record of "Most People Sweeping the Floor (Multiple Venues) has been achieved in Prayagraj, with the participation of more than 10,000 sanitation workers. pic.twitter.com/FznH6hUZQd
— Kumbh (@PrayagrajKumbh) March 3, 2019
कुंभ में उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के नेतृत्व में 10,000 सफाईकर्मियों ने एकसाथ सफाई करके विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
सफाईकर्मियों का यह विश्व रिकॉर्ड पहले बांग्लादेश के नाम था। ढाका में एक स्थान पर 7000 लोगों ने सफाई की थी।
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के ऋषिराज ने बताया कि उनके मानकों के अनुसार 7021 सफाईकर्मी अगर एक जगह सफाई कर दें तो वह रिकॉर्ड होगा। एक साथ कई जगह सफाई का यह पहला मामला है।
कुंभ में पांच जगहों पर 10 हजार सफाईकर्मियों ने एकसाथ पांच स्थानों पर सफाई करके एक कीर्तिमान स्थापित किया है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने भी स्वयं इस भव्य एवं दिव्य कुंभ मेले में आकर स्नान किया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुंभ के आयोजन पर लगभग 4300 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। सरकार ने 10 करोड़ लोगों के मोबाइल पर मैसेज भेजकर उन्हें कुंभ में आने का निमंत्रण भी दिया था।
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कुंभ क्या है?
यूनेस्को ने भारत के कुंभ मेले को ‘मानव की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ के रूप में शामिल है।
कुंभ का आयोजन भारत के चार राज्यों के प्रमुख शहरों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में होता है।
इनमें से हर स्थान पर 12वें साल कुंभ होता है। प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 साल के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। प्रयागराज में पिछला कुंभ 2013 में हुआ था, 2019 में यह अर्द्धकुंभ है।
प्रयागराज में पूर्ण कुंभ 2025 में आयोजित होगा।
कुंभ का मतलब कलश होता है। इसका संबंध समुद्र मंथन के दौरान अंत में निकले अमृत कलश से है। मान्यता है कि देवता-असुर जब अमृत कलश को एक दूसरे से छीन रहे थे, तब उसकी कुछ बूंदें धरती की तीन नदियों में गिरी थीं। जहां ये बूंदें गिरीं, वहीं पर कुंभ होता है। इन नदियों के नाम- गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा हैं।
प्रयाग कुंभ का लिखित इतिहास में जिक्र गुप्तकाल में (चौथी से छठी सदी) मिलता है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृतांत में कुंभ का जिक्र किया। वह 617 से 647 ईसवीं तक भारत में रहे थे। लिखा है कि प्रयाग में राजा हर्षवर्धन ने अपना सब कुछ दान कर राजधानी लौट जाते हैं।