बॉलीवुड एक्टर, स्क्रीन राइटर, एडिटर, प्रोड्यूसर व डायरेक्टर विजय आनंद की आज 23 फ़रवरी को 19वीं डेथ एनिवर्सरी है। विजय आनंद ने 70-80 के दशक में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लिए कई शानदार फिल्मों का निर्माण किया था। विजय को गोल्डी आनंद के नाम से भी जाना जाता है। वे अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके दो बड़े भाई डायरेक्टर-प्रोड्यूसर चेतन आनंद और अभिनेता-निर्देशक देव आनंद साहब थे। इन तीन भाइयों ने साथ मिलकर ‘नवकेतन फिल्म्स’ शुरू की थी। यह एक ऐसा प्रोडक्शन हाउस था, जो अपनी फिल्मों की बेहतरीन कहानियों और यादगार संगीत के लिए जाना जाता है। इस अवसर पर जानिए उनके बारे में कुछ रोचक बातें…
बहुत छोटी उम्र में ‘नौ दो ग्यारह’ डायरेक्ट की
विजय आनंद का जन्म 22 जनवरी, 1934 को पंजाब के गुरदासपुर में हुआ था। विजय आनंद ने 1960-1970 के बीच हिंदी सिनेमा को ‘गाइड’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘तीसरी मंज़िल’, ‘काला बाज़ार’ और ‘तेरे मेरे सपने’ जैसी कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं। फिल्मों में आने से पहले विजय अंग्रेजी साहित्य के स्टूडेंट हुआ करते थे।
विजय आनंद ने 23 साल की उम्र में वर्ष 1957 में अपनी पहली फिल्म ‘नौ दो ग्यारह’ निर्देशित की थी। इससे पहले वे मुंबई के सेंट ज़ेवियर कॉलेज में नाटकों के लिए लेखन किया करते थे, जहां उन्होंने कई ईनाम भी जीते। उन्होंने अपने बड़े भाई एक्टर देव आनंद साहब और भाभी कल्पना कार्तिक के साथ अपनी पहली फिल्म ‘नौ दो ग्याराह’ की शूटिंग सिर्फ़ 40 दिनों में पूरी कर ली थी।
अंग्रेजी साहित्य का करना चाहते थे अध्ययन
नसरीन मुन्नी कबीर को दिए एक इंटरव्यू में विजय आनंद ने कहा था, ‘मैं अपनी मास्टर्स की पढ़ाई कर रहा था और सोचा कि मैं ‘नो दो ग्यारह’ बनाऊंगा और अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन करने जाऊंगा। दुर्भाग्य से मैं अध्ययन करने के लिए वापस नहीं जा सका।’ विजय की फिल्मों में सभी गाने शानदार साउंडट्रैक और खूबसूरती से कोरियोग्राफ किए गए थे। फिल्म ‘तीसरी मंज़िल’ में शम्मी कपूर, ‘ज्वेल थीफ़’ में वैजयंतीमाला या फ़िर ‘गाइड’ में वहीदा रहमान को देख लीजिए, इन फिल्मों में सभी के किरदार और गाने बहुत ही शानदार थे।
नसरीन को दिए इंटरव्यू में विजय आनंद ने बताया था कि फिल्मों में कैसे उन्होंने डांस के लिए इतना जुनून बनाया। उन्होंने कहा था, ‘मैंने जोहरा सहगल, कामेश्वर सहगल, मोहन सहगल और गुरुदत्त जैसे लोगों के साथ अपना बचपन बिताया। वे लगभग हमारे घर में रह रहे थे। वो बलराज और दमयंती साहनी थे। मेरे भाई चेतन उन्हें बॉम्बे ले आए और जब तक उन्हें रहने के लिए अपनी जगह नहीं मिली, वे हमारे साथ रहे। जोहरा और कामेश्वर उदय शंकर की डांस एकेडमी से आए और हमारे पाली हिल होम में एक डांस स्कूल शुरू किया।’
प्रोडक्शन हाउस से बाहर पहली फिल्म थी ‘तीसरी मंज़िल’
‘तीसरी मंज़िल’ विजय आनंद की पहली फ़िल्म थी, जिसमें वे अपने खुद की प्रोडक्शन हाउस नवकेतन फ़िल्म्स के बाहर काम कर रहे थे। प्रोडक्शन करने वाले नासिर हुसैन ने देव और विजय आनंद के साथ काम करने में दिलचस्पी दिखाई। दुर्भाग्य से हुसैन और देव आनंद फिल्म से बाहर हो गए और विजय ने फिल्म में शम्मी कपूर के साथ मुख्य भूमिका में आगे बढ़ने का फैसला किया। फिल्म निर्माता श्रीराम राघवन (बदलापुर, एक हसीना थी) ने अक्सर आनंद की फिल्मों से प्रेरित होने की बात कही थी। यदि आप बारीकी से देखते हैं, तो आपको श्रीराम राघवन की ‘जॉनी-गद्दार’ में कई ऐसे हिंट जाएंगे।
‘काला बाज़ार’ में पहली बार तीनों भाइयों ने साथ किया काम
विजय, चेतन और देव आनंद तीनों भाइयों ने पहली बार एक साथ काम फिल्म ‘काला बाज़ार’ में किया था। विजय आनंद ने काला बाज़ार को लिखा और निर्देशित किया था। जबकि देव आनंद ने इसमें अभिनय किया और चेतन आनंद ने भी अहम भूमिका निभाई। उनकी यह फिल्म टिकटों के लिए ब्लैक मार्केट के बारे में थीं।
एक सीन है जहां एक होटल के रिसेप्शनिस्ट ‘जॉनी मेरा नाम’ देख रहा होता है और एक दूसरे सीन में अभिनेत्री आर.के. नारायण की ‘गाइड’ पढ़ रही होती है। उनके भाई देव आनंद और वहीदा रहमान अभिनीत विजय आनंद की ‘गाइड’ उस किताब पर आधारित थी।
फिल्म में ‘मदर इंडिया’ के प्रीमियर के असली शॉट्स को दिखाया गया था, जिसमें दिलीप कुमार, नरगिस, गीता दत्त, गुरुदत्त और राजेंद्र कुमार जैसे कलाकार शामिल थे। विजय ने अपनी ही एक बहुत छोटी भतीजी से शादी कर ली थी, जिसकी वजह से वे विवादों में भी रहे। वे आचार्य रजनीश उर्फ़ ओशो के फॉलोअर्स थे। 23 फ़रवरी, 2004 को 70 वर्ष की उम्र में विजय आनंद का मुंबई में निधन हो गया था।
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