क्या है नया सिनेमेटोग्राफी एक्ट जिसको तोड़ने पर खानी होगी 3 साल जेल की हवा

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फिल्में अपने इतिहास की शुरूआत से ही मनोरंजन के साथ सामाजिक संदेश देने का काम करती रही है। इसलिए आमतौर पर यह कहा भी जाता है कि सिनेमा समाज को आईना दिखाने का काम करता है। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री दुनिया की सबसे बड़ी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री है। यहां सालभर में 2000 से अधिक फिल्में, करीब 20 भाषाओं में रिलीज होती है। बॉलीवुड यहां सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री है। बॉलीवुड की सालाना औसतन करीब एक हजार फिल्में रिलीज होती है।

बॉलीवुड फिल्में पिछले लम्बे समय से दुनिया के कई देशों में अपने दमदार कंटेट, स्टोरी लाइन, सशक्त अभिनय और डायरेक्शन की वजह से लोगों के बीच छाप छोड़ने में कामयाब रही है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में कमर्शियल सिनेमा तेजी से आगे बढ़ा है। इन सबके बीच विश्व की सबसे बड़ी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री होने के बावजूद इंडियन फिल्म इंडस्ट्री पायरेसी की समस्या से जूझ रही है।

इसका ख़ामियाजा हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड फिल्मों तक को बड़े स्तर पर उठाना पड़ रहा है। फिल्म के लीक होने से प्रोड्यूसर्स आर्थिक रूप से संकट में आ जाते हैं। जिसके चलते फिल्मों के निर्माण पर बुरा असर पड़ता है। साथ ही फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों के रोजगार पर संकट के बादल मंडराने लगते हैं।

उरीऔर मणिकर्णिकाको भी करना पड़ा पायरेसी का सामना

हालिया रिलीज फिल्म ‘उरी’ और ‘मणिकर्णिका’ को भी पायरेसी का सामना करना पड़ा है। रिलीज होने के कुछ घंटों बाद ही ये फिल्में इंटरनेट पर अपलोड कर दी गईं। इससे इनकी कमाई पर बुरा असर हुआ और कलेक्शन गिरने लगे। यहां तक कि कुछ फिल्में तो रिलीज से पहले ही लीक हो गई। देश में सख़्त कानून नहीं होने की वजह से पायरेसी के चलते कई फिल्मों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।

आजादी के बाद सिनेमेटोग्राफी एक्ट में बदलाव कर नया सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 अस्तित्व में लाया गया था, लेकिन यह पायरेसी के मामले में प्रभावी साबित नहीं हुआ। इसके बाद अब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 में बदलाव किया है। इस एक्ट के लागू होने से अब पायरेसी पर लगाम लगेगी। अब कोई भी व्यक्ति इस एक्ट का उल्लंघन करता पकड़ा जाता है तो उसकी खैर नहीं होगी। भारी जुर्माने के साथ ही उसे जेल की हवा भी खानी पड़ेगी।

फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन मेंबर्स ने पीएम मोदी को समस्या से अवगत कराया 

हाल ही में फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के मेंबर्स ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुचंकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। फिल्म प्रोड्यूसर करन जौहर के नेतृत्व में पहुंचे इस दल ने पीएम मोदी को फिल्म पायरेसी की अपनी समस्या से अवगत कराया था। फिल्म प्रोड्यूसर्स ने प्रधानमंत्री को बताया कि पायरेसी की वजह से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस पर पीएम मोदी ने जल्द ही उचित निर्णय लेने की बात कही थी। गौरतलब है कि फिल्म इंडस्ट्री की यह मांग काफी पुरानी है।

पिछले कई वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री के लोगों द्वारा पायरेसी पर रोकथाम के लिए कड़ा कानून बनाने को लेकर कई बार पत्र भी लिखे जा चुके हैं। सरकारें एवं सत्ता बदलती रही लेकिन सिनेमेटोग्राफी एक्ट में संशोधन नहीं हो सका था। अब जाकर इस एक्ट में बदलाव किया गया है। पीएम मोदी ने फिल्म प्रोड्यूसर्स से किया वादा पूरा कर दिखाया है। इस पर बॉलीवुड समेत देश की अन्य सभी फिल्म इंडस्ट्रीज के लोगों ने भी खुशी जताई है।

एक्ट में बदलाव को कैबिनेट की मंजूरी, 6 एए में एक नई धारा जोड़ी जाएगी

 फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन की मांग पर प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने फिल्म पायरेसी को रोकने के लिए सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 में बदलाव को मंजूरी दे दी है। अब इस एक्ट में संशोधन के बाद किसी भी फिल्म को गैरकानूनी तरीके से यानी बिना कंपनी या प्रोड्यूसर की अनुमति के रिकॉर्ड करना, प्रसारित करना कानूनी रूप से अपराध की श्रेणी में आएगा। अब कोई भी व्यक्ति सिनेमाघरों में फिल्मों को ना ही तो रिकॉर्ड कर सकेगा और ना ही इंटरनेट पर नहीं डाल सकेगा।

साथ ही किसी भी डिवाइस या अन्य रूप में अगर पायरेटेड फिल्म के साथ कोई शख्स पकड़ा जाता है तो उस पर भी यह एक्ट लागू होगा। ऐसा करने पर संबंधित आरोपित को 3 साल की जेल या 10 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों सजा का प्रावधान होगा। सिनेमेटोग्राफी एक्ट के 6 एए में एक नई धारा जोड़ी जाएगी। कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी केन्द्रीय विधि एवं न्याय और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दी।

अंतरिम बजट में वित्त मंत्री गोयल ने किया था ऐलान, सिंगल विंडो सिस्टम को मंजूरी

इससे पहले केन्द्रीय वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में अंतरिम बजट पेश करते हुए पायरेसी (नकल) पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा सिनेमैटोग्राफी एक्ट में एंटी कैमकॉर्डिग प्रावधान को शामिल किए जाने की घोषणा की थी। गोयल ने कहा था कि फिल्म के लिए सिंगल विंडो सिस्टम और पायरेसी को रोकने के लिए कानून बनेगा। जिसे अब कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है।

इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने फिल्म इंडस्ट्री के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात के बाद सिनेमा टिकट पर लगने वाले जीएसटी की दरों को भी कम कर दिया था। जीएसटी काउंसिल ने 100 रुपए से कम कीमत वाले टिकट पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी कर दी है। वहीं, 100 रुपए से ज्यादा के टिकट पर जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दिया गया है।

सरकार के इस फैसले की फिल्म जगत के सदस्यों ने सरकार के जमकर सराहना की। प्रोड्यूसर्स गिल्ड ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। प्रोड्यूसर गिल्ड ने स्टेटमेंट जारी कर लिखा, ‘एसोसिएशन खुले दिल से भारत सरकार के इस कदम का स्वागत करती है।

सरकार का ये कदम पीएम नरेन्द्र मोदी के उस वादे को पूरा करता है जो उन्होंने 19 जनवरी 2019 को सिनेमा म्यूजियम के उद्घाटन के दौरान किया था। वहीं, एसोसिएशन के अध्यक्ष सिद्धार्थ रॉय कपूर ने कहा कि ये बौद्धिक संपदा को सुरक्षित रखने के लिए सरकार का एक अहम कदम हैं।

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