दुनिया की सबसे बड़ी भगवद्गीता का प्रधानमंत्री मोदी करेंगे 15 फरवरी को लोकार्पण

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भगवान कृष्ण का संदेश दुनिया भर में फैलाने वाली संस्था अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ यानी इस्कॉन ने सबसे बड़ी धार्मिक पुस्तक तैयार की है। इस्कॉन के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद की ओर से गीता प्रचार के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में यह किताब प्रकाशित कराई गई है। संस्था से जुड़े वेदांत बुक ट्रस्ट ने इसकी छपाई की है। छपाई पर आया खर्च इस्कॉन के हर सेंटर से एकत्रित किया गया था।

किताब का वजन 800 किलोग्राम है। इसे तैयार करने के लिए सिंथेटिक कागज, सोना, चांदी और प्लेटिनम जैसी धातुओं का भी इस्तेमाल हुआ है। इस किताब को इस्कॉन इटली ने बनवाया है। इस्कॉन के सभी केंद्रों से राशि जमा करके इसे बनाया गया है।

इटली से मुंद्रा और अब दिल्ली पहुंची

इस्कॉन संस्था द्वारा तैयार दुनिया की सबसे बड़ी भगवद्गीता का निर्माण इटली के मिलान शहर में किया गया। पहली बार इसे इटली में 12 नवंबर को प्रदर्शित किया गया था। इसे समुद्री रास्ते से गुजरात के मुंद्रा लाया गया। 20 जनवरी को यह किताब दिल्ली पहुंची।

इसका लोकार्पण 15 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। जिसके बाद इसे दिल्ली के इस्कॉन मंदिर में रखा जाएगा। इसे रखने के लिए दो टन का हाइड्रॉलिक स्टैंड बनाया गया है।

ट्रस्टी और मैनेजिंग डायरेक्टर महाश्वेता दास बताती है कि कुछ समय पहले वह इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रीमद् एसी भक्ति वेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद फैलाने और लोगों को भगवद्गीता पढ़ने के लिए प्रेरित करने के बारे में सोच रही थी तभी अचानक उनके मन में सबसे बड़ी धार्मिक पुस्तक के निर्माण का ख्याल आया। इसके पन्नों को जोड़ने के लिए जापानी बाइंडिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

ये खूबियां हैं सबसे बड़ी गीता में

भगवद्गीता का वजन 800 किलोग्राम है।

इसके पन्नों को सोने, चांदी और प्लैटिनम से बनाया गया है।

इसमें 670 पृष्ठ हैं और एक पन्ने को पलटने में तीन से चार लोगों की जरूरत पड़ती हैं।

इसका आकार – लंबाई 12 फीट और चौड़ाई 9 फीट है।

इसके निर्माण में ढ़ाई साल का समय लगा जबकि डेढ़ करोड़ की लागत आई।

इसके कवर पेज को बनाने के लिए सैटेलाइट के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया है।

इसके स्वरुप और योजना में इस्कॉन के कर्मचारियों ने साथ दिया जबकि मुद्रण और निर्माण का जिम्मा मिलान के विशेषज्ञों ने संभाला।

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