देश की सियासत में इस दिनों किसानों की कर्जमाफी की हवा बह रही है। कर्जमाफी के वादे पर मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने वाली कांग्रेस इन राज्यों में किसानों को यह राहत दे चुकी है। देखादेखी असम की बीजेपी सरकार ने भी कर्जमाफी का ऐलान किया है। इससे पहले यूपी की योगी सरकार भी इस रास्ते पर चल चुकी है। माना जा रहा है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में कर्जमाफी एक बड़ा मुद्दा रहेगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इसका ऐलान कर चुके हैं। बकौल राहुल जब तक देशभर के किसानों का कर्ज माफ नहीं होता है, तब तक वह पीएम मोदी को चैन से सोने नहीं देंगे। देश में किसानों की बदहाली का मुद्दा बड़ी चिंता का विषय है, लेकिन इस फौरी राहत पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। क्या वाकई कर्जमाफी किसानों के अच्छे दिन लाने का अचूक नुस्खा है? क्या कर्जमाफी का बोझ झेलने के लिए हमारी इकॉनमी तैयार है? कर्जमाफी का देश की माली सेहत पर असर क्या पड़ रहा है?
1 लाख तक के लोन माफ करने पर इतना बोझ
4.5 लाख करोड़ रुपये के हैं सारे ऐग्रिकल्चर लोन
2.2 लाख करोड़ रुपये के हैं सीमांत और लुघ किसानों के लोन
3.3 लाख करोड़ रुपये के हैं सभी फसल लोन
1.7 लाख करोड़ के क्रॉप लोन सीमांत एवं लघु किसानों
कुल बकाया कृषि लोन बहुत ज्यादा
8.9 लाख करोड़ रुपये के हैं कृषि ऋण
6 लाख करोड़ रुपये के हैं क्रॉप लोन
1.16 लाख रुपये है ऐग्रिकल्चर लोन का औसत
1.12 लाख है क्रॉप लोन का औसत
71% कृषि लोन 1 लाख रुपये से कम के
70% क्रॉप लोन 1 लाख रुपये से कम के
कब-कब हुई कर्जमाफी
1990 में देश भर में कर्जमाफी
लागत: 10,000 करोड़
1990 में देश भर में कर्जमाफी
लागत: 10,000 करोड़
2008 में देश भर में कर्जमाफी
लागत: 52,260 करोड़
2014 में आंध्र में कर्जमाफी
लागत: 24,200 करोड़
तेलंगाना
लागत: 17,000 करोड़
2016 में तमिलनाडु
लागत: 6,000 करोड़
2017 में महाराष्ट्र
लागत: 34,000 करोड़
उत्तर प्रदेश
लागत: 36,000 करोड़
पंजाब
लागत: 1,000 करोड़
2018 में राजस्थान
लागत: 8,000 करोड़
कर्नाटक
लागत: 34,000 करोड़