इस बेबस पिता ने 2 महीने में पुलिस के साथ मिलकर ढूंढा अपने मासूम का कातिल, कहानी किसी फिल्म से कम नहीं

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अपनी आंखो के सामने अपने 5 साल के मासूम को कार चालक द्वारा कुचले जाते देखने के बाद किस पिता में हिम्मत रहेगी लेकिन जयपुर के रहने वाले हनुरोज नामक इस पिता हिम्मत और ज़ज्बे की मिसाल पेश कर डाली है। लगभग एक महीने की कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय के बाद हनुरोज ने अपने जिगर के टुकड़े 5 वर्षीय आर्यन के कातिल को ढूंढ ही निकाला और आज वो सलाखों के पीछे हैं। ये दास्तान किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं जहां 20 सितंबर के दिन जयपुर के श्याम नगर इलाके में रहने वाले हनुरोज अपने परिवार के साथ फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे थे। घर के बाहर हनुरोज अपने दोनों बेटे आदित्य और मृतक आर्यन को एक साइड खड़ा कर दूसरी तरफ खड़ी अपनी कार लेने के लिए निकले कि इतने में ही दूसरी ओर से आई कार आर्यन को टक्कर मारती हुई निकल गई जिससे उसका सिर कार के टायरों के नीचे आ गया। आर्यन ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद हनुरोज अपने बेटे का अंतिम संस्कार करने अपने गांव चले गए जहां वो उसकी तेरहवीं करके वापस जयपुर लौट आए। अब यहां से हनुरोज ने ठान लिया था कि वो उस कार चालक को ढूंढकर ही दम लेंगे ऐसे में वो अब अपने काम पर लग गए।

केवल कार का रंग याद था

हनुरोज को केवल उस कार का रंग याद था जो उसके 5 वर्षीय छोटे बेटे को कुचलती हुई निकल गई थी और उसके बाद हनुरोज ने सबसे पहले दुर्घटना थाने में मामला दर्ज कराया। इस दौरान हनुरोज को जयपुर पुलिस का बखूबी साथ मिला और मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी ने हनुरोज के साथ मिलकर कार के सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू किए। सीसीटीवी जांच आसान नहीं थी ऐसे में पुलिस और हनुरोज पूरे इलाके के हर गली हर चौराहे पर स्थित बैंक और घरों में लगे कैमरों को खंगाल रहे थे। सीसीटीवी खंगालते खंगालते कई दिन बीत गए और अब बस आखिरी बार एक घर का सीसीटीवी खंगालना बाकी रह गया था। पुलिस और हनुरोज का अनुमान ठीक बैठा और उस आखिरी सीसीटीवी फुटेज में कार नजर आ गई।

कार नजर आई लेकिन ये नहीं पता चला कहां गई

फुटेज में कार तो नजर आ गई मगर वो वहां से किस तरफ गई ये पता नहीं लग पाया। फुटेज में पुलिस को छोटी सी कड़ी मिली जहां वो कार एक बार फिर से रात में उसी इलाके में आई और उस मकान के थोड़ा आगे जाकर रुक गई जिसमें से एक व्यक्ति बाहर निकला और फोन पर बात करता हुआ तेजी से दौड़ा। पुलिस की टीम ने कार चालक के चलने का स्टाइल और उसकी कद काठी का गहन अध्ययन किया। बस उसका चेहरा नहीं दिख पा रहा था।

940 कारों में से उस कार को ढूंढना था चैलेंज

पुलिस ने कार की फोटो जब कंपनी को दिखाई तो मालूम चला कि कार का मॉडल 2015 से 2017 के बीच का है और उस कार के 2600 मॉडल्स शहर में मौजूद है जिनमें से 940 लोगों के पास सिल्वर रंग की कार है। अब पुलिस को केवल ये पता करना था कि घटना वाले इलाके में ऐसी सिल्वर रंग की कार कितने लोगों के पास होगी। लेकिन यहां से भी कोई बात बनती नहीं दिखाई दी।

30 से 35 हजार कॉल डिटेल्स खंगाली गई

कार को ढूंढने का आइडिया जब फेल होता दिखाई दिया तो पुलिस ने टेलिकॉम कंपनियों से इलाके में की गई कॉल डिटेल्स की जानकारी निकलवाई जहां 30 से 35 हजार कॉल्स को खंगाला गया। ये कॉल्स कार चालक को आखिरी बार देखे जाने यानी रात 10 बजे के करीब की थी। डिटेल्स की छंटनी की गई तो 113 कॉल्स ऐसी थी जो रात 10 बजे यहां से की गई। पुलिस उन सभी 113 व्यक्तियों के घर पहुंची और पूछताछ की लेकिन उस कार चालक का कोई सुराग नहीं मिला।

अंत में किस्मत ने ऐसे दिया साथ

घटना को पूरे दो महीने बीत चुके थे और पुलिस भी लगभग हार मान चुकी थी लेकिन हनुरोज का आखिरी बार साथ किस्मत ने दिया और 27 नवंबर के दिन जब वो अपने बड़े बेटे का लंच देकर स्कूल से लौट रहे थे तो उन्होनें वैसी ही एक कार देखी और उसकी फोटो लेने लगे। हनुरोज शक के आधार पर ऐसा कर ही रहे थे कि कार वाला उन्हें देखकर वहां से भागने लगा। हनुरोज ने कार चालक का पीछा किया और जयपुर के मानसरोवर इलाके में जाकर कार रूकवाने में कामयाब हुए इतने में सूचना पाकर पुलिस भी आ गई और कार चालक को गिरफ्तार कर लिया गया। अब पुलिस कार चालक से पूछताछ कर रही है।

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