रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के पहले विधिवत पूजा अर्चना करने की तैयारी हो रही है। उनके विग्रह की जीवन कारक द्रव्यों के अलावा शैय्या अधिवास की विशेष योजना है। इस प्रक्रिया में रामलला को शीशम के नवनिर्मित पलंग पर शयन कराया जाएगा। ट्रस्ट ने इस पलंग को अयोध्या में ही निर्मित कराया है। इसके अलावा भगवान के लिए गद्दा, रजाई, चादर व तकिया भी खरीदे गए हैं। वस्त्र भी तैयार हैं। इसी अधिवास के दौरान कुश से भगवान के हृदय को स्पर्श कर न्यास वाचन कर संबंधित पूजन प्रक्रिया संपन्न होगी। सुबह उन्हें विधिवत जागरण कराने के बाद सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। शैय्या अधिवास 21 जनवरी को रात्रि में होगा।
प्राण प्रतिष्ठा पूजन का क्रम भी हुआ स्पष्ट
पहले आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ का अयोध्या आगमन 14 अथवा 15 जनवरी को प्रस्तावित था, लेकिन सोमवार को वह अचानक रामनगरी पहुंच गए। दूसरी ओर विहिप ने सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा पूजन का क्रम भी स्पष्ट कर दिया है, जिस स्थल पर प्रतिमा का निर्माण हुआ है, वहीं से कर्मकुटी अनुष्ठान से पूजन आरंभ होगा। प्रतिमा का निर्माण करने वाले शिल्पी प्रायश्चित पूजन करेंगे।
16 जनवरी से 22 तक ऐसा रहेगा कार्यक्रम
16 जनवरी से पूजन की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी
17 जनवरी को श्रीविग्रह का परिसर भ्रमण कराया जाएगा तथा गर्भगृह का शुद्धिकरण होगा।
18 जनवरी से अधिवास प्रारंभ होगा। दोनों समय जलाधिवास, सुगंध और गंधाधिवास भी होगा।
19 जनवरी को प्रातः फल अधिवास और धान्य अधिवास होगा।
20 जनवरी को सुबह पुष्प और रत्न व शाम को घृत अधिवास होगा।
21 जनवरी को प्रात: शर्करा, मिष्ठान और मधु अधिवास व औषधि और शैय्या अधिवास होगा।
22 जनवरी को मध्य दिवस में रामलला के विग्रह की आंखों से पट्टी हटायी जाएगी और उन्हें दर्पण दिखाया जाएगा।