इतनी घातक है मोबाइल की ब्राइटनेस कि कॉर्निया में हो गए 500 छेद, जानिए

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जिसे देखों वही मोबाइल पर लगा रहता है, यह सच भी है हम बढ़ते डिजीटल तकनीक के कारण अब बहुत सी चीजें मोबाइल से होने लगी है। अभी किसी को पता नहीं कि मोबाइल पर घंटों बात करना, चेट करना और वीडियो देखना हमारे लिए कितना नुकसानदायक है। पर एक ऐसी ही खबर है जिससे आप जानकर जरूर सोच में पड़ जाएंगे कि आखिर मोबाइल की ब्राइटनेस बढ़ाकर इस्तेमाल से किसी की आंखों में छेद हो सकते हैं।

हां, ऐसी ही घटना घटित हुई है दक्षिण ताइवान के काऊशुंग में इलाज करवा रही 25 वर्षीय लड़की के साथ हुआ।

पेशे से वह एक सेक्रेटरी है जिसे अपने काम की वजह से मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ता है। वह मोबाइल से फटाफट मेल, मैसेज और कॉल का जवाब देती थी। चाहे दिन हो या रात, उसे मोबाइल पर एक्टिव रहना होता था। वह अपने मोबाइल की ब्राइटनेस को हमेशा फुल करके इस्तेमाल करती है। अधिक ब्राइटनेस से उसकी बायीं आंखों में जलन व कुछ दिक्कत महसूस हुई। कई आंखों के स्पेशलिस्ट को दिखाया, ड्रॉप्स यूज की लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। धीरे-धीरे आंखों में दर्द और ब्लडशॉट (आंखों में खून वाली नसें) होने लगा।

आंखों की जांच

चेन ने बढ़ती आंखों की परेशानी के लिए अस्पताल में दिखाया, जहां डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनकी बायीं आंख की कॉर्निया में 500 छेद हो चुके हैं। अब चेन का इलाज चल रहा है।

डॉक्टर की सलाह है कि अगर रात में मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो अपने कमरे की लाइट बंद न करें।

डॉ. ने उसे बताया कि 300 Lumens लाइट आंखों के लिए सामान्य होती है लेकिन इससे ज्यादा हमारी आंखों के लिए घातक होती है। ऐसे में चेन 625 लूमेनस पर मोबाइल का उपयोग कर रही थी जो सामान्य से दोगुना था।

कोई समय था जब हम कीपैड वाले मोबाइल का उपयोग सीमित समय के लिए करते थे किंतु आज स्मार्टफोन आने से व सस्ता डेटा मिलने से अब हर किसी को घंटों मोबाइल पर बिताते देखा जा सकता है।

वैसे भी अधिक ब्राइटनेस हमारी आंखों को चुभती है और हम उसे कम कर देते हैं। परंतु हम जानकर भी अनजान बनते हैं तो यह कितना नुकसानदायक हो सकता है यह हम देख चुके हैं।

क्या होती है कॉर्निया
कॉर्निया आंख का वह पारदर्शी हिस्सा होता है, जिस पर बाहर का प्रकाश पड़ता है। यह आंख का दो तिहाई भाग है, जिसमें बाहरी आंख का रंगीन हिस्सा, पुतली और लेंस का प्रकाश देने वाला हिस्सा शामिल होता है।

कॉर्निया में कोई रक्त वाहिका नहीं होती, बल्कि इसमें तंत्रिकाओं का एक जाल होता है। इसको पोषण देने वाले द्रव्य वही होते हैं जो आंसू और आंख के अन्य पारदर्शी द्रव का निर्माण करते हैं।
यह प्रकाश को आंख की पुतली में आने देता है। इसका उभरा हुआ हिस्सा इस प्रकाश को आगे या पुतली और लेंस में भेजता है। इस तरह यह देखने का काम करता है। कॉर्निया का गुंबदाकार ही यह तय करता है कि किसी व्यक्ति की आंख में दूरदृष्टि दोष है या निकट दृष्टि दोष।

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