2002 गोधरा दंगों में मारे गए कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी ने नरेन्द्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने नरेन्द्र मोदी की क्लीन चिट के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई अब सुप्रीम करने जा रहा है।
जस्टिस ए एम खानविलकर और दीपक गुप्ता के समक्ष पिछले हफ्ते जकीया की स्पेशल लीव पिटिशन (एसएलपी) दायर की गई। सुनवाई की तारीख 19 नवंबर रखी गई थी। 28 फरवरी, 2002 को गुलबर्ग सोसायटी में भीड़ ने हमला किया था और भीड़ द्वारा ही कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की हत्या कर दी गई थी।
जाकिया जाफरी ने गुजरात उच्च न्यायालय के 5 अक्टूबर, 2017 के फैसले को चुनौती दी, जिसने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य राजनेताओं और वरिष्ठ नौकरशाहों को अपनी जांच रिपोर्ट में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दे दी थी। किसी भी तरह के सबूत की कमी के कारण न्यायालय द्वारा ये फैसला सुनाया गया था।
पिछले साल गुजरात उच्च न्यायालय ने मेट्रोपॉलिटन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और जाकिया के आरोपों को खारिज कर दिया कि नरोदा पटिया, नरोदा गाम और गुलबर्ग जैसे मामले “बड़ी साजिश” का हिस्सा थे। गुजरात दंगों के पांच साल बाद जाकिया ने मोदी और राज्य मशीनरी के अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए थे।
2012 में, एक मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने गोधरा दंगों के बाद सभी 58 आरोपियों को बरी कर दिया जिसमें 69 लोग मारे गए थे। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एमएस भट्ट ने तब कहा था कि एसआईटी के मुताबिक जाकिया की शिकायत में सूचीबद्ध 58 लोगों में से किसी के खिलाफ कोई अपराध स्थापित नहीं हुआ है। याचिकाकर्ता ने फिर 2013 में अधिग्रहण के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।