ट्रेन में मिली डॉक्टर की डिग्री, वही नाम रखकर बन गया डॉक्टर…9 साल में देखे 90000 मरीज !

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देश में जहां मेडिकल स्टूडेंट्स लाखों रूपये और अपनी जिंदगी के 5-6 साल खपा कर डॉक्टर की डिग्री हासिल कर पाते हैं इसके बाद भी कोई गारंटी नहीं कि अच्छा पैसा कमा लेंगे या नहीं ! लेकिन हम जिस आदमी के बारे में बताने जा रहे हैं उसकी किस्मत में डिग्री और मोटा पैसा दोनों बस एक ट्रेन के सफर में लिखे थे।

जी हां, 12वीं पास मानसिंह बघेल डिग्री एक दिन ट्रेन में कहीं जा रहा था तब वहां उसे एक डॉक्टर की डिग्री मिली। डॉक्टर बनने के लिए सबसे अहम चीज क्या होती है. बस एक डिग्री। तो डिग्री मिल गई थी और मानसिंह हो गए डॉक्टर मनोज कुमार और शुरू कर दी डॉक्टरी।

आगरा में डाला अपने नाम से एक क्लिनिक और 9 साल तक खेला डॉक्टर-डॉक्टर वाला खेल। मरीज आते उनको पेरासिटामोल जैसी दवाई लिखने की आदत कुछ दिनों में डाल ली और कोई गंभीर मरीज आता तो इसे बड़े अस्पताल में जल्दी रैफर करो वाली एक लाइन रट ली। एक अनुमान के मुताबिक मानसिंह ने डॉक्टर बन इतने सालों में करीब 1 लाख मरीज देखे।

एक नौकरी और अच्छी सैलरी का लालच ले आया राजस्थान !

राजस्थान के सीकर जिले में एक प्राइवेट अस्पताल ने डॉक्टर भर्ती के लिए विज्ञापन दिया जिसे देखकर मानसिंह ने अपनी ट्रेन में मिली डिग्री के साथ अप्लाई किया और सेलेक्शन हो गया।

डॉक्टर मनोज कुमार अब इस अस्पताल में मरीजों को देखने लगे और 1 लाख रूपये महीने की सैलरी मिलने लगी।

फिर आया कहानी में ट्विस्ट !

25 मरीजों को एक दिन में देखने वाले फर्जी डॉक्टर ने एक दिन दिल की बीमारी वाली महिला को ड्रिप चढ़ाने के लिए कहा और उस महिला की तबीयत बिगड़ गई। जिसके बाद महिला को दूसरे अस्पताल ले गए और इधर अस्पताल प्रशासन को शक पैदा हो गया।

अस्पताल वालों ने उसकी डिग्री के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि अपना डॉक्टर तो 12वीं पास है। नाम है मानसिंह बघेल। इसके बाद पुलिस ने फर्जी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया और जांच जारी है।

असली डिग्री वाला डॉक्टर कौन था वो भी जान लो

मनोज कुमार एक सरकारी डॉक्टर हैं जो अपना क्लिनिक हरियाणा के पलवल में चलाते हैं। डॉक्टर मनोज कुमार ने बताया कि वो एक बार ट्रेन से सफर कर रहे थे तब उनका बैग गुम गया जिसमें डिग्री और सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स थे।

जिसके बाद उन्होंने नए डॉक्यूमेंट बनवाए, लेकिन इधर उनकी पुरानी डिग्री से मानसिंह जैसे लोग लाखों रूपये छाप रहे थे।

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