संसद के शीतकालीन सत्र की सोमवार को शुरुआत हुई। पहले ही दिन सदन के पिछले सत्र में अनुशासनहीनता करने वाले राज्यसभा के 12 सांसदों को बाकी बचे पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबित किए गए सांसदों में कांग्रेस के छह, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दो, सीपीआई का एक और शिवसेना के दो सांसद शामिल हैं। इस सांसदों के निलंबन को लेकर विपक्षी दलों ने कल राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में एलओपी पर बैठक बुलाई है।
विपक्ष ने संयुक्त बयान जारी कर यह बताया कि विपक्षी दलों के नेता एकजुट होकर 12 सांसदों के अनुचित और अलोकतांत्रिक निलंबन की निंदा करते हैं। राज्यसभा के विपक्षी दलों के नेताओं की कल बैठक होगी, जिसमें सरकार के सत्तावादी निर्णय का विरोध करने और संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए भविष्य की कार्रवाई पर विचार-विमर्श किया जाएगा। वहीं, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निलंबित किए गए सांसद कल राज्यसभा चेयरमैन से मुलाकात कर सकते हैं।
सासंद माफी मांगें तो विचार-विमर्श किया जा सकता
सरकारी सूत्रों ने कहा कि एक मामले में टीएमसी के डॉ. शांतनु सेन ने मंत्री अश्विनी वैष्णव से कागज छीन लिए थे। 22 जुलाई की इस घटना में सेन ने बयान देने जा रहे वैष्णव से कागज छीन लिए और उन्हें फाड़कर चेयर की ओर फेंके। ऐसे में उनका निलंबन एकदम सही है। सूत्रों ने बताया कि अगर जिन सांसदों के खिलाफ यह कार्रवाई की गई वह नियमों के अनुसार माफी मांगते हैं तो भविष्य के संबंध में विचार-विमर्श किया जा सकता है।
इन सांसदों पर गिरी निलंबन की गाज
सीपीएम के एलामारम करीम और कांग्रेस की फूलो देवी नेतम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजामणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन और अखिलेश प्रसाद सिंह, टीएमसी की शांता छेत्री व डोला सेन, सीपीआई के विनय विश्वम और शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई निलंबित कर दिए गए। 11 अगस्त को हुए हंगामे को लेकर ये कार्रवाई हुई है।
इन सांसदों के निलंबन को लेकर सदन की ओर से जारी आधिकारिक नोटिस में कहा गया है कि इन सांसदों ने राज्यसभा के 254वें सत्र के आखिरी दिन यानी 11 अगस्त को हिंसक व्यवहार किया, सुरक्षा कर्मियों पर जानबूझकर हमले किए, चेयर का अपमान किया। इन्होंने सदन के नियमों को तार-तार कर दिया और कार्यवाही में बाधा पहुंचाई।
Read Also: मुकुल रॉय की सदस्यता पर राज्य विधानसभा स्पीकर जल्द फैसला करें: सुप्रीम कोर्ट