Writer Mahasweta Devi had fought for women's rights, interests of dalit-tribals all her life.
अपनी व्यस्तताएँ,
बाहर खूँटी पर ही टाँग आना।
जूतों संग हर नकारात्मकता
उतार आना…!
बाहर किलोलते बच्चों से
थोड़ी शरारत माँग लाना…!
जब ये लाइनें गौर से पढ़ेंगे तो अपने आप ही समझ जाएंगे कि इस लेखनी के पीछे कितने भाव छिपे हैं। हम बात कर रहे हैं लेखिका महाश्वेता देवी की। सामाजिक कार्यकर्ता व मशहूर साहित्यकार महाश्वेता देवी की आज 28 जुलाई को सातवीं पुण्यतिथि है। जी हां, वही महाश्वेता जिनकी रचनाएं कई लोगों ने अपने स्कूल के समय में पढ़ी होगी। रचनाकार महाश्वेता देवी का जन्म 14 जनवरी, 1926 को अविभाजित भारत के ढाका (अब बांग्लादेश) में हुआ था। इस अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
साहित्यकार महाश्वेता देवी यूं तो बंगाल से आती थी और मूल रूप से बांग्ला भाषा की लेखिका थीं, लेकिन इसके बावजूद वह हर भाषा, हर समाज में एक सम्मानित नाम हैं। उन्होंने वर्ष 1936 से 1938 तक शांति निकेतन में शिक्षा हासिल की थी। महाश्वेता देवी ने इंग्लिश भाषा में बीए और एमए की डिग्री हासिल की थी। रचनाकार से पहले वह कहीं ज्यादा सामाजिक कार्यकर्ता थीं। बांग्ला भाषा में अपने बेहद संवेदनशील और वैचारिक लेखन से उन्होंने संपूर्ण भारतीय साहित्य को समृद्धशाली बनाया। वहीं, लेखन के साथ-साथ उन्होंने पूरी जिंदगी स्त्री अधिकारों, दलितों और आदिवासियों के हितों के लिए व्यवस्था से संघर्ष किया।
जब किसी लेखक कृति अलग-अलग भाषाओं में अनुवादित होती है तो यह माना जाता है कि वह एक सफल लेखक है। महाश्वेता देवी भी ऐसी ही सफल लेखिका थीं। उनकी हर कृति इतनी बेहतर होती थी कि वह लोगों का दिल जीत लिया करती थी। ‘हजार चौरासी की मां’, ‘अग्निगर्भ’ और ‘जंगल के दावेदार’ को कल्ट कृतियों के तौर पर जाना और पढ़ा जाता है। उनकी रचना ‘हजार चौरासी की मां’ पर फिल्म भी बनीं।
सुप्रसिद्ध लेखिका महाश्वेता देवी को उनकी रचनाओं के लिए ‘रमन मैग्सेसे अवॉर्ड’ और देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ सहित तमाम पुरस्कारों से नवाजा गया। साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए ‘साहित्य अकादमी’ और ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता की वजह से उन्हें रमन मैग्सेसे और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से भी नवाजा गया था। महाश्वेता देवी का 28 जुलाई, 2016 को कोलकाता में निधन हो गया।
Read: आशापूर्णा देवी ने अपने लेखन में लिंग-आधारित भेदभाव को प्रमुखता से दी थी जगह
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment