ये हुआ था

विश्व डाक दिवस: कभी खत का रहता था इंतजार, जानिए डाक का इतिहास

हर वर्ष की भांति 9 अक्टूबर को पूरी दुनिया में विश्व डाक दिवस (वर्ल्ड पोस्ट डे) मनाया जा रहा है। इस दिन विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनियों के माध्यम से विशेष स्टाम्प का संग्रह, डाक इतिहास पर कार्यशालाएं और पत्र लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। इस दिवस को मनाने का प्रमुख उद्देश्य लोगों को डाक विभाग के बारे में जानकारी देना, उन्हें डाक के प्रति जागरूक करना और डाकघरों के बीच सामंजस्य को बनाए रखना है। जब संचार के आधुनिक उपकरण नहीं थे तब डाक ही सूचनाओं के आदान—प्रदान का सबसे बड़ा माध्यम था। यह सबसे अधिक विश्वसनीय, सुगम और सस्ता साधन रहा है। जिसकी बदौलत आज भी इंटरनेट के जमाने में कई प्रकार से लोग डाक की सेवा ले रहे हैं।

विश्व डाक दिवस का इतिहास

वैसे तो डाक व्यवस्था प्राचीन काल से ही प्रचलित रही है। उस जमाने में भी लोग पत्र व्यवहार किया करते थे और इन्हें राज्य सरकार द्वारा नियुक्त विशेष दूतों द्वारा पैदल, घोड़े या अन्य जानवरों के माध्यम से पहुंचाया जाता था। सन् 1600 के बाद से कई देशों में पहला राष्ट्रीय डाक सेवा प्रणाली शुरू हुई। जो अधिकतर संगठित थी।

वर्ष 1874 में 9 अक्टूबर को स्विट्जरलैंड के बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की गई थी। बर्न में दुनिया के 22 देशों ने एक समझौते पर हस्तारक्षर किए थे। इसने डाक सेवा को अंतर्राष्ट्रीय पर संगठित करने का काम किया। 1 जुलाई, 1876 को भारत यूपीयू का सदस्य बनाने वाला पहला एशियाई देश बना।

यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी बन गई। वर्ष 1969 में जापान के टोक्यो में आयोजित सम्मेलन में विश्व डाक दिवस को 9 अक्टूबर को मनाने की घोषणा की गई। इस प्रस्ताव को भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य आनंद मोहन नरूला द्वारा प्रस्तुत किया गया था। तब से, विश्व डाक दिवस पूरे विश्व में डाक सेवाओं के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। जनसंख्या और अंतर्राष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के आधार पर भारत शुरू से ही प्रथम श्रेणी का सदस्य रहा।

तकनीक के युग में भी कायम है डाक सेवा

आज का दौर तकनीक का है, ऐसे में डाक सेवा का बड़ी चुनौती मिल रही है, लेकिन इन चुनौतियों से निपटने के लिए दुनियाभर की डाक व्यवस्थाओं ने मौजूदा सेवाओं में सुधार करते हुए खुद को नई तकनीकी सेवाओं के साथ जोड़ा है और डाक, पार्सल, पत्रों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए एक्सप्रेस सेवाएं शुरू की हैं। वहीं डाकघरों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही वित्तीय सेवाओं को भी आधुनिक तकनीक से जोड़ा गया है। यही नहीं आज के समय में ऑनलाइन पोस्टल लेन-देन पर भी लोगों का भरोसा बढ़ रहा है। यूपीयू के एक अध्ययन में यह पाया गया है कि दुनियाभर में इस समय 55 से भी ज्यादा विभिन्न प्रकार की पोस्टल ई-सेवाएं उपलब्ध हैं।

यूपीयू अपने तकनीकी निकाय पोस्टल ऑपरेशंस काउंसिल (पीओसी) के साथ मिलकर आने वाले समय में पोस्टल ई-सेवाओं की संख्या और अधिक बढ़ाएगा। पीओसी में 40 सदस्य देश शामिल हैं, जिनका चयन सम्मेलन के दौरान किया जाता है। यूपीयू के कार्यालय बर्न में इसकी सालाना बैठक होती है। यह डाक व्यापार के संचालन, आर्थिक और व्यावसायिक मामलों को देखता है। जहां कहीं भी एकसमान कार्यप्रणाली या व्यवहार जरूरी हों, वहां अपनी क्षमता के मुताबिक यह तकनीकी और संचालन समेत अन्य प्रक्रियाओं के मानकों के लिए सदस्य देशों को अपनी अनुशंसा मुहैया कराता है।

दुनिया की 82 फीसदी आबादी को आज भी होम डिलीवरी दे रहा है डाक

आज के समय में कम्युनिकेशन के अन्य माध्यम आने से डाक की प्रासंगिकता कम हो गई हो, परंतु कुछ मायनों में अभी भी इसकी मौजूदगी हमारे बीच बरकरार है। आज के समय में भी डाक विभाग 82 फीसदी वैश्विक आबादी को होम डिलीवरी का प्रदान कर रहा है। एक डाक कर्मचारी 1,258 औसत आबादी को सेवा मुहैया कराता है। इस समय दुनियाभर में 55 प्रकार की पोस्टल ई-सेवाएं उपलब्ध है। डाक ने 77 फीसदी ऑनलाइन सेवाएं दे रखी हैं। 133 पोस्ट वित्तीय सेवाएं मुहैया कराती है। पांच दिन के मानक समय के अंदर 83.62 फीसदी अंतरराष्ट्रीय डाक सामग्री बांटी जाती है।

दुनिया के 142 देशों में है पोस्टल कोड

डाक के लिए आवश्यक पोस्टल कोड आज दुनिया के 142 देशों में मौजूद है। इसके माध्यम से विभिन्न भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर डाक वितरित की जाती है। इस तरह 141 देशों ने अपनी यूनिवर्सल पोस्टल सेवा को परिभाषित किया है।

भारत में भी डाक विभाग पिनकोड नंबर (पोस्टल इंडेक्स नंबर) के आधार पर देश में डाक वितरण का कार्य किया जाता है जिससे डाक पहुंचाना काफी आसान होता है। पहली बार पिनकोड नंबर की शुरूआत 15 अगस्त, 1972 को की गई। इसके अंतर्गत डाक विभाग द्वारा देश को 9 भोगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। संख्या 1 से 8 तक भौगोलिक क्षेत्र हैं व संख्या 9 सेना डाकसेवा को आवंटित किया गया है। पिन कोड की पहली संख्या क्षेत्र दूसरा संख्या उपक्षेत्र, तीसरी संख्या जिले को दर्शाती है। अंतिम तीन संख्या उस जिले के विशिष्ट डाकघर को दर्शाती है।

Rakesh Singh

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