केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को संशोधित गर्भपात बिल यानी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ((Medical Termination of Pregnancy Amendment) बिल, 2020 को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में गर्भपात की अधिकतम सीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दी गई है। इसके साथ ही मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 में संशोधन का रास्ता साफ हो गया है। जिसे संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। इस बिल के पारित होने के बाद महिलाएं 24वें हफ्ते में भी गर्भपात करा सकेंगी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के इस फैसले के बारे में जानकारी दी।
बता दें कि देश में पिछले वर्ष गर्भपात कराने की अवधि बढ़ाने को लेकर न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी। जिस पर सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल अगस्त में दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि गर्भवती महिला के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उसके गर्भपात की समय सीमा 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते के बारे में मंत्रालय ने विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।
केंद्र सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया कि गर्भपात संबंधी मंत्रालय और नीति आयोग के सलाह मशविरे के बाद गर्भपात संबंधी कानून में संशोधन के मसौदे को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसके बाद उसे कानून मंत्रालय के पास भेज दिया जाएगा ताकि गर्भपात संबंधी कानून पर जरूरी संशोधन हो सके।
केन्द्रीय मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय को यह बताया कि उसने गर्भपात संबंधी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेन्सी (एमटीपी) कानून, 1971 में संशोधन को लेकर अपना मसौदा कानून मंत्रालय के पास भेज दिया है।
जिसके बाद कानून मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय को कहा था कि अभी संसद के दोनों सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित है। ऐसे में नई सरकार बनने के बाद इस मुद्दे पर गौर करेंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने तत्कालीन चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच के सामने हलफनामा दाखिल किया था।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कैबिनेट के गर्भपात संबंधी फैसले से दुष्कर्म पीड़िताओं और नाबालिगों को अनचाहे गर्भ से छुटकारा दिलाने में मदद मिलेगी। यही नहीं कुछ अन्य मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इस विधेयक से गैर शादीशुदा महिलाओं को विधि सम्मत कारणों के तहत गर्भपात की इजाजत मिलेगी। अभी तक केवल शादीशुदा महिलाओं को ही बीमारियों एवं अन प्लैंड प्रेगनेंसी की स्थिति में गर्भपात की इजाजत थी।
मंत्रालय ने यह हलफनामा याचिकाकर्ता और वकील अमित साहनी की जनहित याचिका के मामले में दाखिल किया। अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए।
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खबरों के मुताबिक नेपाल, फ्रांस, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, इथोपिया, इटली, स्पेन, आइसलैंड, नार्वे, फिनलैंड, स्वीडन और स्विट्जरलैंड समेत दुनिया के 52 प्रतिशत देशों में बच्चे में विसंगतियां पाए जाने पर 20 हफ्ते से ज्यादा होने पर गर्भपात कराने की अनुमति है। वहीं डेनमार्क, कनाडा, जर्मनी, घाना, विएतनाम, और जाम्बिया सहित 23 देशों में किसी भी समय गर्भपात की अनुमति है।
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