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इस पैराशूट की मदद से अब भारतीय सेना के जवान कूद सकेंगे 4000 फीट की ऊंचाई से

अब भारतीय जवान किसी भी ऊंचाई से, चाहे हिमालय की चोटी हो या फिर कोई अन्य दुर्गम स्थान, पैराशूट से बिना किसी जोखिम के कूद सकेंगे। भारत की तीनों सेनाओं के लिए तीसरी पीढ़ी के पैराशूट टैक्टिकल असॉल्ट- गजराज यानी पीटीए (जी 2) विकसित किए गए हैं, जो मौजूदा पीटीए (जी) पर्सनल पैराशूट प्रणाली का एक अग्रिम संस्करण है। इन पैराशूटों को हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास संस्थान (एडीआरडीई) ने विकसित किए हैं।

एडीआरडीई ने पीटीए (जी 2) पैराशूट को छह वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद विकसित कर लिया है। यह तीसरी पीढ़ी के पैराशूट है। इससे पहले भारतीय जल, थल और वायु सेना के जवान दूसरी पीढ़ी (पीटीए-एम व आर) के पैराशूट इस्तेमाल करते हैं। पीटीए—एम और आर पैराशूट का सेना द्वारा इस्तेमाल डेढ़ दशक से हो रहा है।

संस्थान द्वारा विकसित नए पीटीए-जीटू पैराशूट से सामान्य तौर पर 1250 फीट ऊंचाई से आसानी से छलांग लगाई जा सकती है। जरूरत पड़ने पर इस पैराशूट से 4000 फीट की ऊंचाई से भी छलांग लगाई जा सकती है। इसका इस्तेमाल दुर्गम स्थानों पर आसानी से किया जा सकेगा।

एडीआरडीई ने इस नए पैराशूट को हर टेस्ट पर जांचा है। मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में एक साल तक डमी ट्रायल किए गए। फिर लाइव ट्रायल शुरू हुए और सफल भी रहा। अब सेना ने इसका ट्रायल के तौर पर उपयोग शुरू कर दिया है। यदि यह ट्रायल सफल रहा तो सेना इसे जल्द अपना लेगी। एडीआरडीई को इन नए पैराशूट के लिए डिमांड भेजी गई है। जरूरत के हिसाब से इन्हें मंगाया जाएगा।

इन खूबियों से लैस है पैराशूट

पीटीए-जी टू पैराशूट का वजन 14 किग्रा है, जिसे उन्नत किस्म के नायलॉन सहित कई अन्य मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है जो इससे पैराशूट की लाइफ बढ़ जाती है। इस पैराशूट की उम्र 20 साल तक है।

तीसरी पीढ़ी के इस पैराशूट की मदद से किसी भी विमान से छलांग लगाई जा सकेगी। फिर विमान की रफ्तार चाहे 265 किमी प्रति घंटा हो। पीटीए-जी टू से 1250 फुट की ऊंचाई से किसी विमान से कूदने पर जमीन पर आने में करीब एक मिनट का समय लगेगा।

एडीआरडीई

भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के अंतर्गत रियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीआरडीई) एक प्रयोगशाला है। इस संस्थान की स्थापना आगरा, उत्तर प्रदेश में की गई है। इसके अनुसंधान क्षेत्र में भारी भार, ब्रेक पैराशूट, टारगेट, एयरक्राफ्ट अरेस्टर बैरियर और एयरोस्टैट्स को छोड़ने के लिए सिस्टम का विकास शामिल है।

मुख्य कार्य—

एडीआरडीई पिछले दो दशकों से कई महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है, जिनमें शामिल हैं—

आयुध वितरण पैराशूट,
अंतरिक्ष रिकवरी पैराशूट,
बैलून बैराज और निगरानी प्रणाली,
एयरशिप और संबंधित अनुप्रयोग।

Rakesh Singh

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