क्या पक्षियों की अठखेलियां, एनिमल्स की दुनिया उनका रहन सहन, जंगल की खुबसूरती, प्राकृतिक नजारे आपको अट्रैक्ट करते हैं। यदि हां तो आपको एक बार ओडिशा जरूर जाना चाहिए। वाइल्डलाइफ पसंद करने वाले लोगों के लिए यहां देखने के लिए बहुत कुछ है। इसके अलावा यहां खुबसूरत समुद्री किनारा भी है जहां आप तसल्ली से घंटो बैठ सकते हैं। तो अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी से एक सप्ताह का समय निकालिए और एक बार ओडिशा का घुमने का लुत्फ उठाएं। आइए हम आपको वहां की खास वाइल्डलाइफ सेंचुरीज के बारे में बताते हैं…।
ऐतिहासिक दृष्टि से यह जगह कुछ खास है क्योंकि राज्य के स्वतंत्रता सेनानी सुरेंद्र साई ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की योजना बनाने के दौरान यहीं शरण ली थी। इसके अलावा वाइल्ड लाइफ की बात करें तो यहां बाघ, चीता, हाइना, हिरण, लकड़बग्घा मुख्य तौर पर देखने को मिलते हैं। साथ ही प्रवासी पक्षी भी यहां भी आते हैं। सर्दियों के दिनों में यहां खास तौर पर काफी पर्यटक आते हैं।
सुनाबेड़ा सेंचुरी अपनी घाटियों के कारण काफी अलग और खास है। इसके अलवा इस जगह पर 11 झरने हैं जो इस जगह की शोभा को और बढ़ा देते हैं। यहां पर टाइगर्स, स्वैंप डियर, स्लॉथ डियर, बार्किंग डियर, लेपर्ड और लंगूर देख सकते हैं। इनके बीच आपको गिद्ध, पहाड़ी मैना के साथ ही अन्य पक्षी देखने को मिलेंगे। खास बात यह है कि यहां आपको जंगली भैंसों की प्रजाति भी देखने को मिलेगी जो कि पास के जंगल से यहां आती है।
यह सेंचुरी उड़ीसा के कंधमाल जिले में स्थित है। यह विशेष रूप से हाथियों, हिरनों और टाइगर के लिए प्रसिद्ध है। यह स्तनधारी और सरीसृप प्रजातियों का घर मानी जाती है। इसके अलावा यहां पक्षीशाला भी है। जहां अनेकों प्रकार के पक्षी देखने को मिलेंगे। तो अगर आपने अभी तक इस जगह के बारे में नहीं सुना है तो यहां जरूर जाएं।
इस सेंचुरी में आपको मगरमच्छ और घड़ियाल के अलावा स्तनधारियों की 38 प्रजातियां देखने को मिलेंगी। इसके अलावा हाथी, तेंदुआ, जंगली कुत्ते, जंगली सियार, बड़ी-बड़ी गिलहरियां और तमाम टाइगर देखने को मिलेंगे। आप यहां नदी किनारे बैठकर पक्षियों और स्तनधारियों की ऐक्टिविटीज को भी देख सकते हैं।
ये उड़ीसा की एक और बेहद लुभावनी वाइल्डलाइफ सेंचुरी है। इसकी स्थापना 1978 में हुई थी। यहां से निकलने वाली सालंदी नदी इस जंगल के लिए लाइफलाइन मानी जाती है। बता दें कि इस नदी पर एक डैम भी बना है, जिसे सालंदी डैम के नाम से जाना जाता है। यह एक पॉप्यूलर वाइल्डलाइफ डेस्टिनेशन है। यहां सर्दियों में खूब पर्यटक आते हैं।
यह उड़ीसा की इकलौती टर्टल सेंचुरी है। यहां हर साल लाखों ऑलिव रिडले टर्टल हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर पार करके यहां पहुंचते हैं और यहां समूह में अंडे देते हैं। बता दें कि यह कछुओं की लुप्तप्राय प्रजाति है। कछुओं को संरक्षण देने और उनकी प्रजातियों को बचाने के लिए उड़ीसा सरकार ने 1979 में इस जगह को टर्टल सेंचुरी घोषित किया, ताकि यहां आने वाले कछुओं के अंडों को संरक्षण प्रदान किया जा सके।
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