बॉलीवुड में पिछले कुछ समय से बायोपिक बनाने का चलन तेजी से बढ़ा है। असल ज़िदग़ी के किरदार को रुपहले पर्दे पर उतारना किसी भी कलाकार के लिए आसान काम नहीं होता है। क्योंकि लोग उस किरदार की तुलना असल किरदार से करने लगते हैं। बॉलीवुड में बायोपिक का फार्मूला हिट है। यही कारण है कि अब सिने प्रेमियों को एक साल में कई बायोपिक देखने को मिल रही है। हाल में बालासाहब ठाकरे पर बायोपिक ‘ठाकरे’ रिलीज हुई। इसके बाद अब पीएम नरेन्द्र मोदी पर बायोपिक रिलीज होने को तैयार है। बायोपिक की अगली कड़ी में अब तीजन बाई का नाम भी जुड़ गया है। बॉलीवुड एक्टर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की पत्नी उन पर फिल्म बना रही है। आइये जानते हैं तीजन बाई कौन हैं और उन पर फिल्म क्यूं बनाई जा रही है…
हाल में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मशहूर लोक गायिका डॉ. तीजन बाई को भारत सरकार के सबसे बड़े सम्मानों में से एक पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है। एक छोटे गांव से निकलकर पद्म विभूषण से सम्मानित होने वाली तीजन बाई की लंबी कहानी है। छत्तीसगढ़ की प्राचीन पंडवानी कला को दुनिया से परिचय कराने वाली तीजन बाई का इसको बढ़ावा देने में विशेष स्थान है। उन्हें लोक गायन की इस मशहूर पंडवानी कला में महारत हासिल है। पंडवानी छत्तीसगढ़ में सुनाई जाने वाली महाभारत से जुड़े किस्सों से संबंधित एक गायन विधा है।
तीजन बाई का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को छत्तीसगढ़ राज्य के भिलाई जिले के गनियारी गांव में हुआ। इनकी माता का नाम सुखवती और पिता का नाम चुनुक लाल पारधी था। ये छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति वर्ग के पारधी समाज से संबंध रखती हैं। तीजन के नाना ब्रज लाल ने इन्हें छत्तीसगढ़ की प्राचीन गायन पंडवानी कला को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। नाना इन्हें महाभारत की कहानियां गाते सुनाते और धीरे-धीरे ये कहानियां तीजन बाई को याद हो गई। इनकी लगन और प्रतिभा को देखते हुए उमेद सिंह देशमुख ने इन्हें पंडवानी कला सिखाई। तीजन ने मात्र 13 वर्ष की उम्र में अपना पहला मंच प्रदर्शन किया। उस दौर में महिला पंडवानी गायिकाएं केवल बैठकर गा सकती थीं जिसे वेदमती शैली के नाम से भी जाना जाता है।
पुरुष खड़े होकर कापालिक शैली में गायन करते थे। तीजन बाई को छत्तीसगढ़ राज्य के पंडवानी लोक गीत-नाट्य की कापालिक शैली की पहली महिला कलाकार के रूप में भी जाना जाता है। इन्होंने देश-विदेश में अपनी इस कला जीवित रखा है और अब वे उसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का काम कर रही है। इन दिनों भिलाई में रहते हुए तीजन कई बालिकाओं को पंडवानी कला का प्रशिक्षण दे रही हैं।
लोक गायन कलाकार तीजन बाई की शादी महज 12 साल की बेहद कम उम्र में कर दी गई थी। तीजन को इनके पारधी समाज द्वारा समाज से निष्काषित कर दिया गया था। इसकी वजह यह थी कि ये एक महिला होकर पंडवानी गायिकी की विधा में बेहद रुचि रखती थीं। इस तरह से बचपन से ही उनका संघर्ष शुरू हो गया था। वे एक झोपड़ी बनाकर अपनी जिंदग़ी जीने पर मज़बूर हो गई थी।
फिर एक दिन ऐसा भी आया जब प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना और बस यहीं से तीजन बाई का जीवन एकदम से बदल गया। गौरतलब है कि इसके बाद तीजन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर अनेक अतिविशिष्ट लोगों के सामने देश-विदेश में उन्होंने अपनी कला का जौहर दिखाया।
हालिया पद्म विभूषण पुरस्कार से पहले तीजन बाई को 1988 में पद्मश्री, 1995 में श्री संगीत कला अकादमी पुरस्कार, 2003 में डॉक्टरेट की डिग्री, 2003 में पद्म भूषण, 2016 में एमएस सुब्बालक्ष्मी शताब्दी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। सबसे रोचक बात यह है कि तीजन ने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली है, लेकिन उनकी उपलब्धि को देखते हुए बिलासपुर केन्द्रीय विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें डी. लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।
अपने बचपन के दिनों में बॉलीवुड के प्रसिद्ध एक्टर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी अपनी कुर्सी पर अक्सर खड़े हो जाया करते थे ताकि उन्हें तीजन बाई की परफॉर्मेंस की एक झलक दिख जाए। तीजन बाई की गायिकी के प्रति नवाज़ुद्दीन की दीवानगी इस कदर बढ़ जाती है कि अब उनकी पत्नी बायोपिक बनाने जा रही है।
नवाज इस बात को लेकर काफी उत्साहित हैं कि उनकी पत्नी आलिया सिद्दीकी और मंजू गढ़वाल वायएस एंटरटेनमेंट के बैनर तले मशहूर लोक गायिका तीजन बाई की जिंदगी पर एक फिल्म बनाने जा रही हैं। आलिया सिद्धिकी ने तीजन बाई के किरदार को निभाने के लिए बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा, रानी मुखर्जी और विद्या बालन को अपनी च्वॉइस बताया है।
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